इसलिए रात को किया जाता है किन्नरों का अंतिम संस्कार, वजह जानकर हो जाएगे हैरान

माना जाता है कि कई किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्ति होती है, जिससे उन्हें मौत का आभास हो जाता है. मौत होने वाली है, ये जानने के बाद किन्नर कहीं आना-जाना और यहां तक कि खाना भी बंद कर देते हैं. इस दौरान वे सिर्फ पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआ करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर न बनें.

किन्नर समुदाय के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को मरणासन्न किन्नर या किन्नर की मौत की खबर बिल्कुल न हो, ये एहतियात बरती जाती है. शव को जहां दफनाया जा रहा हो , वहां अधिकारियों को भी इस बारे में पहले ही बता दिया जाता है कि जानकारी गुप्त रहे.

शवयात्रा के दौरान शव को चार कंधों पर लिटाए हुए ले जाने की परंपरा से अलग किन्नरों में शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आम लोग अगर मृत किन्नर का शरीर देख भी लें तो मृतक को दोबारा किन्नर का ही जन्म मिलता है. शवयात्रा के दौरान शव को चार कंधों पर लिटाए हुए ले जाने की परंपरा से अलग किन्नरों में शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आम लोग अगर मृत किन्नर का शरीर देख भी लें तो मृतक को दोबारा किन्नर का ही जन्म मिलता है.

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