प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की कमी से हो सकती है ये समस्या

जब मां बच्चे को जन्म देती है तो मां के स्तनों से दूध प्रवाह होता है। ब्रेस्ट का दूध बनने में कैल्शियम का बड़ा योगदान होता है। ऐसा कहना गलत होगा कि महिलाओं के शरीर का विकास हो चुका होता है इसलिए उन्हें कैल्शियम की जरूरत नहीं है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं में कैल्शियम की कमी हो सकती है।

पेट में शिशु के विकास के लिए भी कैल्शियम बहुत जरूरी होता है। डॉक्टर भी प्रेग्नेंट महिलाओं की जांच कर कैल्शियम की उचित मात्रा लेने की सलाह देते हैं। आप चाहे तो कैल्शियम की कमी होने पर अपनी डायट में सुधार कर इसकी मात्रा बढ़ा सकते हैं।

नॉन प्रेग्नेंट लेडी को 500 मिलीग्राम पर डे कैल्शियम की जरूरत होती है जबकि प्रेग्नेंट लेडी को दोगुनी कैल्शियम यानी 1000 मिलीग्राम पर डे की आवश्यकता होती है।

प्रेग्नेंसी के सेकेंड हाफ में कैल्शियम की जरूरत अधिक बढ़ जाती है क्योंकि अब बच्चे को भी कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

प्रेग्नेंट मां कैल्शियम नहीं लेगी तो बच्चे तक तो कैल्शियम पहुंच जाएगा लेकिन मां के अंदर कैल्शियम की कमी हो जाएगी।

लड़कियों को कैल्शियम की सही मात्रा लेनी चाहिए। कैल्शियम की ली गई सही मात्रा जब लड़की मां बनती है, तब काम आती है।

जब प्रेग्नेंसी में कैल्शियम की कमी हो जाती है तो महिलाओं में कमजोरी आ जाती है। महिलाएं थका हुआ महसूस करती हैं।
हार्ट की मसल्स को कॉन्ट्रेक्ट करने में भी कैल्शियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ब्लीडिंग को रोकने में कैल्शियम का अहम रोल होता है। कैल्शियम की कमी के कारण ब्लड कैल्शियम को मेंटेंन करने के लिए बोन से कैल्शियम निकालता रहता है जो कमजोरी का कारण बन सकता है। कमी से महिलाओं की कमर और शरीर में दर्द हो सकता है।

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