ये है दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी, हो जाने पर हो सकती है आपकी मौत
फाइलेरिया को हाथी पांव रोग भी कहा जाता है। ये रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेगी।
जिन व्यक्तियों के खून में फाइलेरिया के कीटाणु होतें है, पर डी.ई.सी की खुराक खाने पर फाइलेरिया के कीटाणुओं के मरने के कारण उन्हें हल्का बुखार, सर में दर्द, उल्टियां चक्कर की शिकायत हो सकती है। इससे घबराएं नहीं। ये लक्षण कुछ समय के बाद स्वयं समाप्त हो जाते हैं।अगर पर डी.ई.सी की खुराक खाने से कोई परेशानी हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य कर्मी/स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
इस रोग को पैदा करने में फाइलेरिया बोनक्राफ्टी नामक एक कीटाणु कारण होता है अतः इस रोग को फाइलेरिया भी कहते हैं। इसके अलावा यह क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारी है। यह परजीवी धागे की तरह होता है और इसका संक्रमण लसिका (लिम्फ) ग्रंथियों में होता है। यह लसीका में ही मर जाते हैं और लसीका मार्ग बंद कर देते हैं, जिससे लसीका अपना काम बंद कर देती है।
यह रोग मुख्यतः बिहार, बंगाल, पूर्वी प्रान्तों, केरल और मलाबार प्रदेशों में ज्यादातर होता पाया गया है। अधिकतर मामलों में इस रोग के लक्षणों का प्रारंभिक अवस्था में पता नहीं चल पाता है, जिससे इलाज में मुश्किल हो सकती है।