होली का हैंगओवर कैसे उतारे,जानिए यहां

होली पर पान खाने से दूर हो जाते है कई बीमारियां

देश में जहां मंदिर-मस्जिद के नाम पर सियासत होती रहती है वहीं उत्तर प्रदेश के एक गांव में एक ही जमीन पर आमने-सामने मजार और लगी होली कौमी एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं।

मंदिर, मस्जिद हो या अन्य धार्मिक स्थल,दोनों हाथों उठाकर जहां दुआयें कुबूल होती हैं वहीं अपने आराध्य का एहसास होता है और वह धार्मिक स्थल आस्था का केंद्र बन जाता है जहां फिर लोग मन्नतें मांगने के लिये उस दर पर मत्था है।

ये है मान्यता

किंवदंती के अनुसार इस गाँव में एक प्रसिद्ध फकीर थे जिनका नाम गुलाम शाह था उनकी ख्याति सुदूर अंचलो तक फैली थी वह यहां फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की रात्रि में होलिका दहन करवाते थे यहां की होलिका की अग्नि की ताप से असाध्य रोगियों को राहत मिलने की बात बतायी जाती है यही वजह है बड़ी संख्या में लोग होलिका तापने आते हैं ।

इस मर्ज के रोगी आते है यहाँ

माना जाता है कि होलिका की आंच से मिरगी, कुष्ठ रोग सफेद दाग के रोगी स्वस्थ्य हो जाते हैं। लोगों का मानना है कि कुम्हार जाति के एक श्रद्धालु की सेवा से प्रसन्न होकर फकीर गुलाम हुसैनी ने उसे एक ऐसी जड़ी-बूटी बतायी थी।

जिसको पान में रखकर खाने से कई प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं इस दवा को लेने के साथ होली तापना अनिवार्य है गुलाम शाह के नाम पर बसे गुलामाबाद में तभी से होली का महत्व बढ़ गया आज भी उसी परिवार के वंशज फाल्गुन पूर्णिमा को पान में दवा देते है।

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