द्रोपदी के इस श्राप के कारण कुत्ते करते हैं खुले में सहवास,वजह जानकर चौक जाएंगे आप
आपको बता दे कि जब अर्जुन विवाह करके द्रोपदी को घर लाए थे तो माता कुंती ने अपने किसी काम में व्यस्त होने की वजह से बिना देखे अनजाने में सभी भाइयों को यह आदेश दे दिया था कि सभी भाई मिलकर बराबर-बराबर उसका उपयोग करो।
माता कुंती की बात का मान रखने के लिए सभी भाइयों ने द्रोपदी से विवाह किया था पांडवों में यह भी निर्धारित हुआ था कि द्रोपति प्रत्येक वर्ष एक ही पांडव के साथ अपना समय व्यतीत करेगी और जब द्रोपति किसी पांडव के साथ कक्ष में समय व्यतीत कर रही हो तो उनके कक्ष में किसी दूसरे का आना वर्जित था।
जब भी कोई एक पांडव द्रौपदी के कक्ष में जाया करता था तो वह अपनी पादुकाएं द्वार पर उतार दिया करता था ताकि कोई दूसरा पांडव, पांडव की पादुकाएं देख कक्षा में प्रवेश ना करें। परंतु एक बार जब अर्जुन अपनी पादुका प्रवेश द्वार से बाहर उतार कर द्रौपदी संग प्रेम प्रसंग में लीन थे तभी वहां पर एक कुत्ता आया और खेल-खेल में उस कुत्ते ने उस पांडव की पादुकाएं उठा ली और पास के जंगल में उसके साथ खेलने लगा।
उसी दौरान भीम अपने कक्ष की ओर प्रस्थान कर रहे थे उन्होंने देखा कि द्रौपदी के कक्ष के बाहर कोई पादुकाएं नहीं रखी है और वह द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश कर गए।
इस तरह से भीम को अपने कक्ष में देखकर द्रोपदी शर्मिंदा हो गई और बहुत ही क्रोधित होते हुए उसने भीम से कहा कि उसने कक्ष में प्रवेश कैसे किया जबकि अर्जुन ने अपनी पादुका प्रवेश द्वार के बाहर उतारे हैं इस पर भीम ने कहा कि कोई भी पादुका द्वार पर नहीं रखी हैं। तभी दोनों भाई कक्ष से बाहर निकले और उन्होंने पादुकाओं को खोजना शुरू कर दिया।
ढूंढते-ढूंढते पास के जंगल में वह दोनों पहुंच गए उन्होंने देखा कि एक कुत्ता अर्जुन की पादुकाओं के साथ खेल रहा था। द्रोपदी इस बात से बहुत ही लज्जित महसूस कर रही थी तो उसने क्रोध में आकर कुत्ते को यह श्राप दे दिया कि जैसे आज मुझे किसी ने सहवास करते देखा हैं उसी तरह तुम्हें सारी दुनिया सहवास करते देखेगी तभी से माना जाता हैं कि कुत्ते सहवास करते समय लोक लज्जा की चिंता नहीं किया करते हैं।