लेजर आई ट्रीटमेंट के बाद नहीं पहन सकते कॉन्टैक्ट लैंस, जानिए क्या है सच
आंखों का लेजर ऑपरेशन कराने से पहले आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। उनसे अपने स्वास्थ्य के आधार पर सर्जरी की बात करें। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के हिसाब से आंखों की जांच करेंगे। जिसमें विजन, इंफेक्शन, इंफ्लमेशन, प्यूपिल साइज, आंखों में सूखापन, आंखों में प्रेशर और आंखों का पूरा चेकअप किया जाएगा।
कॉर्निया के किस हिस्से को रीशेप करना है ये पता लगाने के लिए डॉक्टर्स आंखों का टोपोग्राफिक मैप तैयार करते हैं। स्कैनर पूरी आंख का डिटेल्ड चार्ट बनाते हैं। चार्ट के आधार पर ही आंखों का लेजर ऑपरेशन किया जाता है।
आंखों का लेजर ऑपरेशन करने में लगभग आधा घंटा लगता है। आंखों का लेजर ऑपरेशन के वक्त मरीज को रिलैक्स करने के लिए डॉक्टर दवा भी दे सकते हैं। इसके बाद आंखों के ऊपर एक रिंग रखी जाती है जिससे आंखों पर प्रेशर लग सकता है। इससे आंखों की रोशनी भी कम हो सकती है।
छोटे ब्लेड से कॉर्नियल फ्लैप को अलग किया जाता है जिससे कॉर्निया का वो भाग जिसे रीशेप करना है देखा जा सके। लेजर मशीन से कॉर्निया रीशेप किया जाता है। लेजर पल्स से टिशूज को निकाला जाता है। सर्जरी के बाद फ्लैप वापस अपनी जगह लगा दिया जाता है। फ्लैप बिना टांकों के भी हील हो जाता है। लेजर सर्जरी का फायदा यह है कि आप एक साथ दोनों आंखों का ऑपरेशन करा सकते हैं।