छोटे शिशुओं की सुरक्षा के लिए फॉलो करें ये टिप्स
शिशुओं की सुरक्षा माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। बच्चे के पैदा होने के बाद से लेकर टोडलर होने तक, पेरेंट्स को शिशुओं की सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है। कई बार शिशुओं की सुरक्षा में चूक माता-पिता को परेशानी में डाल सकती है। नवजात शिशु के पैदा होने के बाद से लेकर घर में शिशुओं की सुरक्षा, बाहर जाते समय शिशुओं की सुरक्षा पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। बच्चों को अचानक से होने वाली इंजुरी से बचाने के लिए भी निगरानी की जरूरत पड़ती है।
बच्चा पीछे बैठा है और आप आगे तो इस बात का ध्यान रखें कि कार से उतरते वक्त उसे भी साथ में लें। कई बार पेरेंट्स बच्चों को कार से लेना भूल जाते हैं।
आप अपने शिशु को कार में न भूले, इसके लिए बैक सीट में पर्स, मोबाइल फोन व अन्य जरूरी सामान रख सकते हैं। ऐसा करने से आपका ध्यान बच्चे पर भी रहेगा।
शिशुओं की सुरक्षा के तहत कार की चाबियां या अन्य छोटा सामान उनकी पहुंच से दूर रखें। कई बार शिशु कार की चाभी को मुंह में डाल लेते हैं। बच्चे को कहीं पर भी अकेले छोड़ने की भूल न करें। बच्चे अकेले में कुछ भी काम कर सकते हैं जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
शिशुओं की सुरक्षा में इंजुरी बचाव के लिहाज से महत्वपूर्ण मुद्दा है। बच्चे खेल या उत्सुकता के चलते कभी भी ऐसा काम कर सकते हैं, जिसके कारण उन्हें चोट लग जाए। शिशुओं की सुरक्षा के लिए पेरेंट्स को हर पल उनकी निगरानी करना बहुत जरूरी है। इंजुरी कभी भी मौत का रूप ले सकती है। कुछ इंजुरी बच्चों को बाय चांस या बैड लक के कारण नहीं होती है। ये जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों को इंजुरी से बचाने के लिए घर में पहले से ही इंतजाम करके रखें।