जानिए MLA और MLC में क्या अंतर है?

MLA किसी विधान सभा का सदस्य होता है। यह किसी खास क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधि होता है। MLA का फुलफॉर्म होता है Member of Legislative Assembly . इसे हिंदी में विधायक या विधानसभा सदस्य भी कहते हैं। MLA चूँकि जनता का प्रतिनिधि होता है अतः वह जनता की समस्याओं को विधान सभा में उठाता है।

इसके साथ ही वह कई अन्य जिम्मेदारियों का वहन करता है जैसे राज्य की जनता के हित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना, विधेयक पारित करवाना आदि। MLA की कार्यावधि पांच साल होती है। MLA बनने के लिए न्यूनत्तम आयु पच्चीस साल है। MLA वही व्यक्ति बन सकता है जो भारत का नागरिक हो और किसी विधान सभा क्षेत्र का मतदाता हो। उसे मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। MLA का चुनाव सीधे जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा होता है।

MLA के तरह MLC भी विधान मंडल का सदस्य होता है किन्तु यह विधान सभा का नहीं बल्कि विधान परिषद् का सदस्य होता है। एमएलसी का फुलफॉर्म Member of Legislative Council होता है। MLC का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से नहीं होता है।MLC का कार्यकाल छह साल का होता है। एमएलसी बनने की न्यूनत्तम आयु 30 साल होती है।

MLC बनने के लिए उम्मीदवार को मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए तथा उस राज्य के मतदाता सूचि में उसका नाम होना चाहिए। साथ ही उसे दिवालिया नहीं होना चाहिए। एमएलसी का चुनाव विधायकों द्वारा, नगर पालिका, नगरनिगम, बोर्डों, निकायों के सदस्यों द्वारा ,रजिस्टरड स्नातकों द्वारा होता है। कुछ एमएलसी को राज्यपाल मनोनीत करते हैं जो कला,शिक्षा, विज्ञानं,खेल , साहित्य आदि क्षेत्रों में विशिष्टता रखते हैं।

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