मनुष्य पहाड़ों पर चढ़ते समय सीधे क्यों नहीं चल पाता? जानिए
मनुष्य तो हमेशा सीधा ही चलता है। सीधे चले बिना तो वह संतुलन ही नहीं रख पाएगा।
पहाड़ों पर चढ़ते समय भी वह लगातार स्वयं को सीधा अर्थात् पृथ्वी के वास्तविक धरातल से समकोण पर रखने की क़ोशिश में रहता है।
पहाड़ का धरातल पृथ्वी के वास्तविक धरातल से किसी विशिष्ट कोण पर होता है। इसलिए मनुष्य को संतुलन बनाए रखने के लिए पहाड़ पर चढ़ते समय अपने शरीर को सामने की ओर समुचित कोण पर झुकाना पड़ता है, ताकि उसके शरीर की स्थिति पृथ्वी के वास्तविक धरातल से समकोण पर रहे।
इस सम्बंध में निम्नलिखित बातें जानने योग्य हैं:-
- साधारणतः मनुष्य के शरीर का गुरुत्व केंद्र उसके पेट के किसी बिंदु पर होता है।
- चलते समय, उठते-बैठते समय या खड़े रहते समय शरीर को संतुलित अवस्था में रखने यानि गिरने या लड़खड़ाने से बचाने के लिए मुख्य कार्य मनुष्य के पैरों की मांस-पेशियों का होता है। वैसे पेट के ऊपर के शरीर के हिस्से जैसे सिर, बाहें आदि भी सीधा-टेड़ा करके या फैलाकर संतुलन बनाने में सहायक होते हैं।
- संतुलित अवस्था में खड़े या चलते हुए मनुष्य के शरीर का उसके पेट में स्थित गुरुत्व केंद्र, उसके पैरों का संतुलन केंद्र और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अनिवार्य रूप से सीधी रेखा में होने चाहिए।
- शरीर का गुरुत्व केंद्र और पैरों का संतुलन केंद्र जितने समीप होते हैं, शरीर को संतुलित रखना उतना सरल होता है।
- पहाड़ पर या किसी भी चढ़ाई पर जाते हुए शरीर को यथोचित आगे की ओर झुकाकर उपरोक्त दोनों सिद्धांत पूरे किए जाते हैं। अर्थात् एक तो शरीर के गुरुत्व केंद्र को, पैरों के संतुलन केंद्र को और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण केंद्र को एक सीधी रेखा में लाया जाता है और दूसरा शरीर के गुरुत्व केंद्र को और पैरों के संतुलन केंद्र को समीपतर किया जाता है।