पढ़िए मजेदार कहानी फ़क़ीर की सुई
बहुत समय की बात है, उपदेशात्मक वाणी सुन कर एक राजा को वैराग्य हो गया और उन्होंने जंगल का रास्ता लिया एक बार एक आदमी ने राजा को जंगल में फकीरी ठाट में नदी के किनारे प्रभु का भजन में बैठे देखा और ये बात उसके राजा के पुत्र को बताई की तू यहाँ पर राज के सुख भोग रहा है वहाँ जंगल में तेरे पिता नदी के किनारे प्रभु के भजन में बैठें है
उसकी ये बात सुन कर राजा के पुत्र को लज्जा आ गई उस आदमी की बात सुन कर राजा का पुत्र राजा को ढूंढ़ने के लिए अपने सैनिकों के साथ जंगल की ओर निकल पड़ा। ढूंढ़ते ढूंढ़ते वो उस स्थान पर पहुंच गया जहा पर राजा प्रभु का भजन कर रहा था
उसने देखा की राजा फकीरी लिबास में एक गोदडी को सूई से सी रहा था उसने अपने पिता से कहा,पिता जी आप वापस अपने राज्य चलिए और आप वही पर ही प्रभु का चिंतन करना,अपने बेटे की बात सुन कर राजा ने सुई जिससे वो गोदडी सी रहा था उस सुई को उसने नदी में फेक दिया और अपने बेटे से कहा मेरे सुई नदी में गिर गई है उसे नदी से बाहर निकाल दो ,पिता की बात सुन कर बेटे ने अपने सैनिकों को हुकुम दिया
और नदी से सुई को बाहर निकलने का आदेश दिया राजा के पुत्र की बात सुनते ही सभी सिपाही नदी में सुई ढूंढ़ने के लिए कूद गए उन्होंने बहुत ही प्रयास की पर उस सुई को नहीं ढूंढ सके और सब निराश हो गए और आ कर कहा की सुई नहीं मिली तब साधु महाराज ने कहा अच्छा पुत्र अब में प्रयास करता हूँ इतना कहते ही बादशाह फ़क़ीर ने आवाज लगाई और कहा अरे जल की मछलियों जरा मेरी सुई को ढूंढ कर लाओ
बस फिर क्या था इतना कहते ही एक मछली मुँह में सुई डाले जल से बाहर आई और सुई को फ़क़ीर के चरणों में रखा फिर पूण नदी में चली गई यह सब देख फ़क़ीर बादशाह ने कहा ,पुत्र अब बताओ आसानी बादशाह कौन है तू मनुष्यों को हुकुम करता है पर मेरी आज्ञा का पालन यहां पशु पक्षी, जलचर ,नभचर,थलचर करते है मै यही पर अच्छा हूँ तू अपने राज्य को लौट जा और धर्म पारायण हो कर राज्य का संचालन कर।