कुंभ मेले कितने प्रकार के होते हैं? जानिए

महाकुंभ मेला: सभी कुंभ मेलों में सबसे सर्वश्रेष्ठ है महाकुंभ मेला. इसकी खासियत है कि यह दो शताब्दी के बीच यानी 144 साल में एक बार आता है. इसका आयोजन केवल प्रयाग राज में ही होता है. जब प्रयाग राज में 12 पूर्ण कुंभ पूरे हो जाते हैं तो उसके बाद महाकुंभ आयोजित होता है. त्रिवेणी (गंगा-यमुना-सरस्वती) के संगम तट पर होने के कारण इसकी महानता और महत्ता अधिक है.

पूर्ण कुंभ मेला: यह हर 12 साल में आता है. मुख्य रूप से भारत में 4 कुंभ मेला स्थान यानी प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किए जाते हैं. यह हर 12 साल में इन 4 स्थानों पर बारी-बारी आता है. यह राशि पर आधारित समय काल पर चलता है. एक स्थान पर उसी राशि का कुंभ होने में 12 साल लगते हैं.

अर्ध कुंभ मेला: 12 वर्ष के अंतराल के बीच में हर साल 6 महीने में लगने वाले कुंभ को अर्ध कुंभ कहते हैं. केवल हरिद्वार और प्रयागराज में ही इनका आयोजन किया जाता है. इनकी महत्ता पूर्ण कुंभ जैसी ही होती है. दूर-दूर से श्रद्धालु जन पहुंचते हैं.

कुंभ मेला: एक स्थान के बाद राशि और ग्रहों का विचलन (अपने स्थान से हटना) अगले तीन साल में होता है. इस आधार पर हर तीन साल में राज्यों के जरिए कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.

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