जैसा की आप सभी जानते है कि कीवी kiwi fruit का फल भारतीय फल नहीं है। इसे ज्यादातर न्यूजीलैंड और अन्य देशों से आयात किया जाता है। इसलिए यह ऊंचे दामों पर बिकता है। इसकी खेती कठिन है और यह भारत के केवल ठंडे क्षेत्रों में ही पाया जाता है जो मौसम के लिए उपयुक्त होते हैं।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में परिवहन शुल्क के कारण कीवी फल की कीमत बढ़ जाती है। कीवी फल इतना महंगा क्यों है? फल पकने में बहुत समय लेता है और सामान्य फलों की तुलना में मात्रा में अपेक्षाकृत कम होता है। कीवी फल kiwi fruit को चीनी फल माना जाता है।
इसे 20वीं सदी में चीन के जंगली पहाड़ी क्षेत्र से न्यूजीलैंड ले जाया गया और वहां लोगों ने kiwi fruit व्यावसायिक खेती शुरू कर दी। आज भारतीय क्षेत्र में इसकी कीमत 50 रुपये प्रति फल है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है।
भारत में हिमाचल के अलावा जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और केरल में भी कीवी का उत्पादन होता है। हिमाचल में किसानों और बागवानों ने आर्थिकी को मजबूत करने के लिए कीवी को नए नकदी फल के रूप में विकसित करने का विकल्प चुना है।
सिरमौर, कुल्लू, सोलन, मंडी और शिमला जिलों के मध्य पहाड़ी क्षेत्र कीवी Kiwi की खेती के लिए उपयुक्त हैं। हिमाचल में हेवर्ड, एबट, एलिसन, मोंटी, तुमुरी और ब्रूनो नाम की कीवी किस्में उगाई जा रही हैं। बाजार में हेवर्ड किस्म की सबसे ज्यादा मांग है।
आपको बता दे कि बड़े शहरों में kiwi कीवी की कीमत 100 रुपये से लेकर 350 रुपये प्रति किलो तक है। राज्य में कीवी kiwi की तुड़ाई 15 सितंबर से 15 नवंबर तक होती है। सिरमौर के नर्ग, राजगढ़ और मानगढ़ के बागवान कीवी की तुड़ाई कर उसे दिल्ली, लुधियाना और महाराष्ट्र की मंडियों में भेज रहे हैं।
2003 में शुरू हुआ था kiwi उत्पादन
2003 में हिमाचल के किसानों ने ट्रायल बेसिस पर कीवी का उत्पादन शुरू किया था। उस समय फल और सब्जी मंडियों में खरीदार नहीं थे। अब 15 साल बाद हिमाचली कीवी की मांग दिल्ली, पंजाब, मुंबई, चेन्नई और कई दक्षिणी राज्यों में है।
कीवी kiwi का बगीचा कैसे तैयार किया जाता है
कीवी kiwi का बगीचा कैसे तैयार किया जाता है
हिमाचल में कीवी kiwi के पौधे जनवरी और फरवरी के महीने में लगाए जाते हैं। पौधे पांच साल में फल देना शुरू कर देते हैं। कीवी का परागण मई के महीने में किया जाता है। परागण कीवी kiwi का मुख्य कार्य है, जिसमें नर और मादा फूलों को स्पर्श कराकर फल तैयार किया जाता है। नर और मादा पौधे बागवानों द्वारा अलग-अलग खेतों में लगाए जाते हैं। परागण के बाद कीवी kiwi का फल जुलाई-अगस्त में तैयार हो जाता है।
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