Google इंटरनेट पर मौजूद सरफेस वेब का सिर्फ 10% हिस्सा ही दिखाता है, इसके अलावा गूगल Google बाकी 90% डीप वेब और डार्क वेब तक पहुंच नहीं देता है। इसके अलावा गूगल Google और क्या नहीं दिखाता-

इंटरनेट का एक रूप तो हम देखते ही हैं जिसमें गूगल, याहू, फेसबुक, ट्विटर और Google, Yahoo, Facebook, Twitter अन्य अनगिनत वेबसाइट हैं जिन्हें कोई भी खोल सकता है, लेकिन इंटरनेट में एक और दुनिया भी है जिसे ‘डीप वेब’ Deep Web कहते हैं। डीप वेब यानी इंटरनेट की इस अंधेरी दुनिया में कई अवैध बाजार सजे हुए हैं। कई ऐसी नशीली और खतरनाक चीजें खरीदी-बेची जाती हैं जिन्हें बेचना या खरीदना अपराध माना जाता है।

पैसे की जगह वर्चुअल मनी बिटकॉइन के जरिए भुगतान किया जाता है। ऐसे ही एक ऑनलाइन बाजार ‘सिल्क रोड’ को पिछले साल अमेरिका की एफबीआई ने बंद कर दिया था। इन वेबसाइट से शॉपिंग करने पर पहचान छिपी रहती है इसलिए इनका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में ज्यादा होता रहा है।

How deep is the ‘Deep Web’?

TOR क्या है?

TOR यानी द ओनियन राउटर इंटरनेट का एक हिस्सा है जिसे सामान्य ब्राउज़र के ज़रिए एक्सेस नहीं किया जा सकता. इसके लिए एक ख़ास तरह के फ़ायरफ़ॉक्स ब्राउज़र की ज़रूरत होती है.

इसे यूएस नेवी रिसर्च लैब ने बनाया था ताकि कोई भी व्यक्ति बिना ट्रैक किए गुमनाम तरीके से इंटरनेट ब्राउज़ कर सके.

यह दो तरह से काम करता है. एक तो यह कि साइट खोलने पर पीछे छोड़े गए डिजिटल संकेत इसे समझना इतना मुश्किल बना देते हैं कि ब्राउज़िंग लगभग गुमनाम हो जाती है.

दूसरा, Tor में कई साइटें डॉट कॉम के बजाय डॉट ओनियन एक्सटेंशन में खुलती हैं. ये साइटें छिपी हुई होती हैं और सिर्फ़ Tor पर ही दिखाई देती हैं. ये Google और Bing जैसे सर्च इंजन पर लिस्ट भी नहीं होतीं.

इसका इस्तेमाल सिर्फ़ पोर्नोग्राफी या आपराधिक गतिविधियों के लिए ही नहीं बल्कि पत्रकारिता और गोपनीय जानकारी भेजने के लिए भी किया जाता है.

एंटीवायरस antivirus बनाने वाली कंपनी मैकफी McAfee की सार्क देशों की इकाई के प्रबंध निदेशक जगदीश महापात्रा ने बीबीसी को बताया कि डीप या डार्क वेब सार्वजनिक रूप से दिखने वाले इंटरनेट से तीन गुना बड़ा हो सकता है।

उन्होंने कहा, “लोग टोर Tor के जरिए डार्क वेब तक पहुंचते हैं। इसका इस्तेमाल रक्षा सेवाओं के लिए किया जाता था, लेकिन जैसा कि ज्यादातर तकनीकों के साथ होता है, जिन लोगों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था, उन्होंने भी इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। साइबर अपराधियों ने इसका इस्तेमाल तमाम तरह की अवैध गतिविधियों के लिए करना शुरू कर दिया।”

सरकारी या गैर-सरकारी जासूसी, ड्रग्स बेचने से लेकर पोर्न कारोबार और मानव तस्करी तक, इंटरनेट की इस अंधेरी दुनिया में सब कुछ खुलेआम होता है।

एफबीआई और इंटरनेट पर डीप वेब deep web ऑपरेटरों के बीच लंबे समय तक चले चूहे-बिल्ली के खेल के बाद पिछले साल बंद हुए ‘सिल्क रोड’ ने इस दुनिया की जो तस्वीर पेश की, वह कई विशेषज्ञों की सोच से कहीं ज्यादा खतरनाक थी।

अपराधियों के लिए ‘आश्रय’ ‘Shelter’ for criminals

आमतौर पर सुरक्षा एजेंसियां ​​सार्वजनिक इंटरनेट पर अवैध काम करने वालों तक आसानी से पहुंच सकती हैं, लेकिन साइबर अपराधी डीप वेब पर अवैध गतिविधियों को आसानी से अंजाम देते हैं, क्योंकि उनके पकड़े जाने का जोखिम कम होता है।

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