देश के सबसे सुरक्षित किलों में शामिल है हैदराबाद का ये किला
नई-पुरानी संस्कृति को स्वयं में समाहित किए हुए विभिन्न ऐतिहासिक इमारतों के संगम के रूप में उभरता हैदराबाद सदियों से निजामों के प्रिय शहर और मोतियों के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। हैदराबाद की विभिन्न ऐतिहासिक इमारतों में से एक है मशहूर गोलकोंडा किला। गोलकुंडा या गोलकोण्डा दक्षिणी भारत में, हैदराबाद नगर से पाँच मील पश्चिम स्थित एक दुर्ग तथा ध्वस्त नगर है।
पूर्वकाल में यह कुतबशाही राज्य में मिलने वाले हीरे-जवाहरातों के लिये प्रसिद्ध था।इस दुर्ग का निर्माण वारंगल के राजा ने 14वीं शताब्दी में कराया था। बाद में यह बहमनी राजाओं के हाथ में चला गया और मुहम्मदनगर कहलाने लगा। मुख्य शहर से 11 किमी दूर बसा यह किला हैदराबाद के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस किले को देखे बिना आपकी हैदराबाद यात्रा अधूरी है।गोलकोंडा किले का नाम तेलुगू शब्द ‘गोल्ला कोंडा’ पर रखा गया है।
देश के सबसे बड़े और सुरक्षित किलों में से एक गोलकुंडा बहमनी के शासकों के भी अधीन रहा। गोलकोंडा में अरब व अफ्रीका के देशों के साथ हीरे व मोतियों का व्यापार होता था। दुनियाभर में मशहूर कोहिनूर हीरा भी यहीं मिला था। कुतुबशाही वंश के राजाओं की कला के प्रति दीवानगी को इस किले में आकर साफतौर पर देखा जा सकता है।
गोलकोंडा किले की बनावट
अपनी बनावट एवं बसावट के साथ-साथ तमाम ऐतिहासिक तथ्यों को समेटता हैदराबाद की ग्रेनाईट वाली पहाड़ियों पर निर्मित यह गोलकोंडा किला अपने आप में बहुत कुछ कहता है। गोलकुंडा किले को बाहर से देखने पर तो पहाड़नुमा खंडहर चित्र आँखों से गुजरता है लेकिन अंदर जाने पर ऐसा लगता है मानो पहाड़ों को काट-काटकर किसी खास राजमिस्त्री ने इस किले को गढा होगा।
गोलकोंडा का इतिहास लगभग आठ सौ साल पुराना है। इतिहास के पन्ने इस बात के गवाह हैं कि इसका निर्माण बारंगल के शासकों ने 13वीं शताब्दी में कराया था। हालांकि बाद में इस किले की रौनक बाह्मनी एवं कुतुबशाही शासकों की वजह से ही बनी रही। ग्रेनाईट की पहाड़ी पर निर्मित यह किला आज भी पहाड़नुमा खंडहर इस वजह से दिखता है क्योंकि सामान्य सतह से इसकी ऊंचाई लगभग 420 फीट के आसपास है।
अगर इस किले के बनावट पक्ष की बात करें तो इस किलें में आठ भव्य द्वार एवं सत्तासी बुर्ज हैं। चूंकि इस किले का उद्देश्य ही वाणिज्यिक उद्देश्यों एवं हीरे-जवाहरात के संरक्षण के लिए था लिहाजा इसके निर्माण में सुरक्षा आदि के पुख्ता इंतजाम स्वाभाविक थे। बाहर से अंदर तक यह किला तीन चारदीवारियों से घिरा हुआ है। कहा जाता है कि दुनिया में चर्चित कोहिनूर हीरा यहीं से मिला था।