आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के सागर के कई इलाकों में लोगों ने अपने घरों के दरवाज़ों या खिड़कियों पर लाल बोतलें टांगना शुरू कर दिया है। पहली नज़र में अजनबी लोग देखकर हैरान हो सकते हैं कि वहां रहने वाले लोग किसी तरह का जादू-टोना कर रहे हैं।
लेकिन जब उन्हें इन बोतलों के पीछे की असली वजह पता चलती है तो वे चौंक जाते हैं। दरअसल, इन बोतलों को टांगने वाले लोग खुद डरे हुए हैं और एहतियात के तौर पर उन्होंने यह तरीका अपनाया है।
आपको बता दे कि सागर के अलग-अलग गली-मोहल्लों में आवारा कुत्तों को भगाने के लिए लाल बोतलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों का मानना है कि लाल रंग कुत्तों की आंखों में जलन पैदा करता है, जिसके कारण वे उन जगहों से बचते हैं, जहां उन्हें यह रंग दिखता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस तरीके से आवारा कुत्तों की समस्या से कुछ राहत मिली है।
जैसे-जैसे यह खबर फैली, वैसे-वैसे लोगों की संख्या बढ़ती गई और वे अपने घरों के बाहर लाल बोतलें टांगने लगे। विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे कुछ इंसानों को रंगों के बीच अंतर समझने में परेशानी होती है, वैसे ही कुत्तों को भी नीले, हरे और लाल रंग के बीच अंतर समझने में परेशानी होती है। यही वजह है कि आवारा कुत्ते या तो सुबह जल्दी या फिर सूर्यास्त के बाद ही बाहर निकलते हैं।
आवारा कुत्तों की यह समस्या सिर्फ सागर तक ही सीमित नहीं है, यह पूरे जिले में फैली हुई है। जिला अस्पताल और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में हर दिन 30 से ज्यादा मरीज रेबीज का टीका लगवाने आते हैं।
पिछले साल नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए 5 लाख रुपए का विशेष बजट भी रखा था, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हुआ। सागर के शहर बीना में एक 8 साल के बच्चे को कुत्ते ने काट लिया, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई।
एक पागल कुत्ते ने ढाई घंटे के अंदर एक गांव में 17 लोगों पर हमला कर दिया। इन बढ़ती घटनाओं ने शहर के लोगों को डरा दिया है, जिसकी वजह से उन्होंने बच्चों को घर के अंदर ही रखना शुरू कर दिया है। आवारा कुत्तों से बचने के लिए लोग कई तरीके अपनाने लगे हैं, जिसमें घरों के बाहर लाल बोतल टांगना भी शामिल है।