व्यायाम के दौरान लगने वाली चोट के चरण

व्यायाम के दौरान लगने वाले चोट शरीर के निम्न हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। व्यायाम के पहले वार्मअप करने से मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं, जो इन चोटों और मांसपेशियों को होने वाली क्षति को कम कर सकती हैं।

पीठ के निचले हिस्से की चोट
पूरे दिन ऑफिस में बैठे रहने के बाद जिम में पहुंचकर डेडलिफ्ट्स, ओवर-द-शोल्डर लिफ्ट्स और स्क्वैट्स करने से पीठ के निचले हिस्से को क्षति पहुंच सकती है। दिनभर कार्यालय में लगभग एक ही मुद्रा में बैठे रहने से यह हिस्सा पहले से ही दर्द में होता है। जिम में इस हिस्से को लक्षित व्यायाम आपको चोट पहुंचा सकते हैं।

घुटने की चोट
कार्यालय में लगातार बैठे रहने और दिनभर किसी शारीरिक गतिविधि न होने के बाद जिम में स्क्वाट, बॉक्स जंप और ज्यादा दबाव वाले व्यायाम करने से घुटनों में समस्याएं हो सकती हैं। पेटेलोफेमोरल पेन सिंड्रोम या घुटने में सामने की ओर चोट लगना आम है। जिम जाने वालों के घुटनों में मेनिस्कस या बर्साइटिस होने का भी डर रहता है।

कंधे में चोट
जिम में भले ही कंधों के व्यायाम का दिन न हो, लेकिन दैनिक व्यायाम का असर आपके कंधों पर जरूर होता है। बेंच प्रेस, ओवरहेड प्रेस यहां तक कि डेडलिफ्ट के व्यायाम के दौरान भी आपके कंधों के जोड़ और उससे संबंधित मांसपेशियां सक्रिय होती हैं। ऐसे में किसी भी व्यायाम के दौरान हुई थोड़ी सी चूक आपके कंधों की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकती है। दफ्तर में बैठे-बैठे या ड्राइविंग करते हुए भी कंधे की इंजरी हो सकती है। रोटेटर कफ टेंडिनिटिस, फ्रोजन शोल्डर या बर्साइटिस जैसी आम समस्याएं कंधों में हो सकती हैं।

बाइसेप्स में चोट
शुरुआती समय में लोग जिम पहुंचते ही अपने बाइसेप्स को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा भार उठाना शुरू कर देते हैं। इससे कई बार बाइसेप्स के ऊपरी हिस्से में चोट लगने का खतरा रहता है। डम्बल कर्ल के कई सेट लगातार करने और अधिक भार उठाने से बाइसेप्स की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जो काफी दर्द देती हैं।

पेक्टोरल स्ट्रेन
बगल की मांसपेशियों के व्यायाम के दौरान पेक्टोरल स्ट्रेन हो सकता है। हालांकि, यह आम नहीं है, छाती की मांसपेशियों को होने वाली क्षति के चलते पेक्टोरल मांसपेशियों में खिंचाव होता है। यह तब हो सकता है जब आप बारबेल के वजन को दोनों तरफ समान रूप से संतुलित नहीं करते हैं या इनपर नियंत्रण खो देते हैं।

टखने की चोट
दौड़ लगाने वाले खेलों के दौरान टखने में आने वाली चोट सामान्य है। जिम में कार्डियो या क्रॉसफिट व्यायामों के दौरान दिशा के निरंतर परिवर्तन की आवश्यकता होती है जिससे संतुलन बिगड़ने का खतरा रहता है। इस दौरान होने वाली थोड़ी सी चूक आपकी मांसपेशियों को क्षति पहुंचा सकती है।

कोहनी का दर्द
लैट्रल एपिकॉन्डिलाइटिस के भी नाम से जाने जाने वाले इस व्यायाम में अधिक भार उठाने के चलते कोहनी न तो पूरी तरह से खुल पाती है न ही उसे रोटेशन का मौका मिलता है। बहुत अधिक भारी उठाने या सही तकनीक का पालन नहीं करने से कोहनी में दर्द हो सकता है।

कलाई का दर्द
सही तकनीक का पालन न करते हुए लगातार वजन को उठाना और पूर्ववत ले जाने से कलाइयों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका रहती है। पुश-अप्स से लेकर टेक्निकल एक्सरसाइज जैसे फ्रंट स्क्वैट्स या मिलिट्री प्रेस में कलाई के असामान्य फ्लेक्सिंग की आवश्यकता होती है और इसके परिणामस्वरूप चोट लग सकती है।

गर्दन का दर्द
गलत तरीके से वजन उठाने के कारण गर्दन में दर्द होने का डर होता है। अगर आप रोजाना कंप्यूटर या फोन पर कई घंटे बिताते हैं, तो यह दर्द को और बढ़ा सकता है। बेंच प्रेस या सीधे लेटकर किए जाने वाले व्यायामों के दौरान गर्दन ऊपर उठाने से गर्दन के आसपास की मांसपेशियों में दर्द का खतरा बना रहता है।

शिन स्प्लिंट्स
आम धारणा के विपरीत दौड़ने के साथ-साथ बॉक्स जंपर्स जैसे उच्च तीव्रता वाले व्यायाम से भी शिन स्प्लिंट्स होने का खतरा होता है।

क्वाड स्ट्रेन
दौड़ने और पैरों के व्यायाम के दौरान जांघों के चारो ओर इंजरी होने का खतरा बना रहता है। पूरे दिन अपने पैरों को स्थिर रखना और फिर अचानक से स्क्वाट्स करने से क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है।

कूल्हे की चोटें
आपके कूल्हे की मांसपेशियां आमतौर पर दिन के दौरान कई घंटों के लिए निष्क्रिय होती हैं। लगातार मांसपेशियों के स्थिर अवस्था में रहने के कारण आपको आईटी बैंड सिंड्रोम जैसी चोटों का खतरा हो सकता है। जिम में वे व्यायाम जिनमें आमतौर पर कम भार उठाया जाता है और इनसे क्षति होने की आशंका कम होती है, उनको भी गलत ढंग से करने के दौरान आपको चोट और दर्द का खतरा रहता है।

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