सावधान: ई-सिगरेट का सेवन करने से हो सकता है कैंसर ji
शोधकर्ताओं ने कहा कि लोगों के बीच जिस तरह ई-सिगरेट का प्रचार किया जा रहा है, यह वैसा नहीं है। यह बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। शोधकर्ताओं ने ई-सिगरेट के दो मशहूर ब्रांडों के धुएं का प्रयोगशाला में मानव कोशिकाओं से संपर्क कराया।
कुछ कैंसर विशेषज्ञ ई-सिगरेट को पैसिव स्मोकिंग का बड़ा उदाहरण मानते रहे हैं, जिनका कहना है कि ई-सिगरेट में निकोटीन आम सिगरेट से कम भले ही हो लेकिन इसमें मौजूद केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं। उनका कहना है कि इसी के प्रयोग से एक नॉन स्मोकर को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
धुएं के संपर्क में न आने वाली कोशिकाओं की तुलना में धुएं के संपर्क में आने वाली कोशिकाओं के डीएनए में क्षति पाई गई, जबकि कुछ कोशिकाएं मृत हो गईं। वैज्ञानिकों ने निकोटिन युक्त और निकोटिन मुक्त ई-सिगरेट का परीक्षण किया। निकोटिन युक्त ई-सिगरेट लोगों को इसका आदी बनाते हैं। इनके द्वारा कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करने के भी सबूत हैं।
शोध दल कैंसर पैदा करने वाले अन्य घटकों की पहचान और उसके विशिष्ट प्रभाव की जांच का प्रयास कर रहा है। बाजार में सात हजार से अधिक स्वाद वाले ई-सिगरेट के 500 ब्रांड मौजूद हैं।
ई-सिगरेट व्यक्ति के डीएनए को क्षतिग्रस्त कर सकती है और इसकी वजह से सांस, हृदय व फेफड़े संबंधी तमाम बीमारियां हो सकती हैं। ई-सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं में तो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।