Natural News

Read Your Way

Bhai Dooj 2024: भाई दूज कब है? जानिए कैसे मनाया जाता है?

भाई दूज Bhai Dooj को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस त्यौहार को लेकर हर भाई-बहन उत्साहित रहता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन भाई को अपने घर बुलाकर उसकी आवभगत करने का रिवाज है। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि इस साल भाई दूज कब है तो यहां आपको इस बारे में जानकारी मिलेगी।

भाई दूज Bhai Dooj कब की है?

भाई दूज Bhai Dooj का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया 3 नवंबर 2024 को पड़ रही है।

भाई दूज Bhai Dooj कैसे मनाया जाता है?

यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार और स्नेह को बढ़ाने में बहुत योगदान देता है। भाई दूज पर बहनें अपने भाई को उपहार देती हैं। आमतौर पर बहन भाई को अपने घर आमंत्रित करती है, लेकिन कई परिवारों में विवाहित बहनें घर आती हैं। नीचे लिखी विधि से आप अपने परिवार के साथ भाई दूज (Bhai Dooj 2024) मना सकते हैं –

सुबह स्नान करके व्रत रखें और भाई के लिए भोजन तैयार करें।

सबसे पहले बहन भाई के माथे पर तिलक लगाए।

भाई को मौली बांधे और मिठाई खिलाएं।

अब भाई को उपहार स्वरूप नारियल या गोला दें।

भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करें।

भाई के सुखी जीवन और लंबी आयु के लिए उनसे प्रार्थना करें।

अब भाई को भोजन कराएं और खुद भी खाएं।

image-25-1024x576 Bhai Dooj 2024: भाई दूज कब है? जानिए कैसे मनाया जाता है?

भाई दूज Bhai Dooj क्यों मनाया जाता है?

इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है। मान्यता है कि भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने से उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। कहा जाता है कि जो भाई अपने भाइयों को तिलक लगाते हैं और उन्हें नारियल देते हैं उनका स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है। जो भी भाई-बहन इस त्योहार को पूरे विधि-विधान से मनाते हैं उनकी दुर्घटना में मृत्यु होने की संभावना काफी कम हो जाती है। भाई दूज (Bhai Dooj 2024) मनाने से भाई-बहन के परिवार को सुख, समृद्धि, संपत्ति और वैभव की प्राप्ति होती है। यह त्योहार परिवार में प्रेम और सौहार्द की भावना को बढ़ाता है।

भाई दूज Bhai Dooj की कहानी

बहुत समय पहले सूर्य देव की पत्नी संज्ञा ने दो बच्चों को जन्म दिया- यमराज और यमुनाजी। यमराज मृत्यु के देवता बन गए, जबकि यमुनाजी को पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता था। यमुनाजी अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थीं और हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि वे अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे।

एक दिन यमुनाजी ने अपने भाई को बुलाने का फैसला किया। उन्होंने यमराज से अपने घर आकर भोजन करने का अनुरोध किया। यमराज अपनी बहन के प्रेम से प्रभावित हुए और उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। जब यमराज यमुनाजी के घर पहुंचे, तो यमुनाजी ने उनका स्वागत फूलों की माला, तिलक और मिठाई से किया। इसके बाद उन्होंने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया।

अपनी बहन के प्रेम और आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने उनसे वरदान मांगने को कहा। यमुनाजी ने अपने भाई से वरदान मांगा कि जिस दिन वह अपने भाई को आदर और प्रेम से आमंत्रित करें, उन्हें तिलक लगाएं और भोजन कराएं, उस दिन हर भाई की आयु लंबी हो और वह समृद्ध हो।

यमराज ने उनकी मनोकामना पूरी की और वरदान दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई के लिए प्रार्थना करेगी, उसका भाई दीर्घायु होगा और उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तब से भाई दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनका सम्मान करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *