महाकुम्भ मेले में कितनी भीड़ होती है?
हरिद्वार महाकुम्भ में ५ करोड़ से अधिक श्रद्धालु चार महीनों के दौरान पधारे; १४ अप्रैल के एक दिन में १ करोड़ लोग उपस्थित। २००१ – प्रयागराज के मेले में छः सप्ताहों के दौरान ७ करोड़ श्रद्धालु, २४ जनवरी के अकेले दिन ३ करोड़ लोग उपस्थित। २००३ – नासिक मेले में मुख्य स्नान दिवस पर ६० लाख लोग उपस्थित।
पहला शाही स्नान महा शिवरात्रि के अवसर पर 11 मार्च को होगा. वहीं दूसरे, तीसरे और चौथे शाही स्नान का आयोजन 12 अप्रैल (सोमवती अमावस्या), 14 अप्रैल (वैशाखी और मेष संक्रांति) और 27 अप्रैल (चैत्र पूर्णिमा) किया जाएगा.
पौरानिक कथाओं के अनुसार दुर्बासा ऋषि देव देवता राजा इन्द्र के आदर से प्रसन्न होकर उन्हे उपहार स्वरूप एक माला दिया लेकिन इन्द ने उस माला को स्वयं ग्रहण करने के बजाय अपने रथ को खींच रहे एरावत हाथी के गले में डाल दिया और हाथी ने उस माला को अपने गले से गिराकर अपने पैरों से कुचल डाला जब दुर्बासा ऋषि को यह घटना मालूम हुआ तो उन्होंने राजा इन्द्र को श्रविहिन होने का श्राप दे दिया चूंकि अब इन्द्र श्रीविहिन हो चुके थे,
तो इस समस्या के समाधान के लिये वो ब्रम्हा जी के पास गये तो उन्होने समुद्र मंथन का सुझाव दिया तब देवता और राझस के आपसी समझौते के बाद मंथन आरंभ हुआ तो उसमे से कई बहुमूल्य वस्तु निकले और जब अमृत निकला तो इसे लेकर दोनों पक्षों में झगडा हो गया तब देवताओं ने अमृत को चार अलग अलग स्थानों पर छिपा दिया माना जाता है