क्या डाकिनी आज भी होती हैं या यह महज एक अंधविश्वास है?
मारा शरीर पांच तत्वों से निर्मित है अग्नि , जल , वायु , आकाश , पृथ्वी। देवता हो या डाकिनी इनमें मात्र 3 तत्व होते हैं आकाश , अग्नि , वायु तथा इन तीनों का कुछ भी पता कर पाना संभव नहीं होता क्योंकि इनकी गति अपार होती है साथ ही रूप भी। यही कारण है इन्हें पकड़ पाना या देखना असंभव तो नहीं पर कठिन अवश्य होता है।
अब शेष दो तत्व जल , पृथ्वी इनका प्रमुख गुण है ग्रहण करना या प्राप्त करना जैसे ; जल बहुत सी वस्तुवों को ग्रहण करता है और पृथ्वी भी। इसी कारण से यह स्थिरता का प्रतीक है , कुछ मात्रा में जो मनुष्य में अधिक मात्रा में पाया जाता है। वैसे भी हमारी आँखें मात्र 3आयाम को देख या ग्रहण कर सकती हैं और कोई वस्तु इससे अधिक आयाम में हो तो देखना या अनुभव कर पाना संभव नहीं।
यही मूल अंतर देवता/ डाकिनी / मनुष्य में है पर कुछ विशेष क्षण में हमारे शरीर के 2 तत्व जल व पृथ्वी लोप हो जाते हैं तो इनकी झलक दिख जाती है अथवा साक्षात्कार हो जाता है इस स्थिति में शरीर में मात्र अग्नि , वायु , आकाश रह जाता है। यह स्थिति अधिक नहीं रहती परंतु योग द्वारा इसे प्राप्त किया जा सकता है।
आपको यदि ध्यान का अनुभव हो तो ध्यान में देह भारहीन हो जाती है साथ ही उड़ने का भाव भी होता है जिसे अनेक साधकों ने अनुभव किया है।