सती प्रथा किसने समाप्त की थी?
सती प्रथा मध्यकालीन भारत में प्रचलित था। अरब के आक्रमणकारी राजाओं को युद्ध में हराकर उनकी स्त्रियों को साथ लेकर जाते थे। इससे बचने के लिए महिलाएं एकल या सामूहिक रूप से सती होने लगीं थीं।
बाद में इस प्रथा को पतिव्रता होने से जोड़ दिया गया। जिसमें पति की मृत्यु के बाद पत्नी को चिता पर बैठकर जलना पड़ता था।
सती प्रथा का अंत- ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय ने इस प्रथा का विरोध किया। उन्होंने इस बारे में समाज को जागरूक किया। इसके फलस्वरूप बहुत से लोग उनके आंदोलन से जुड़ने लगे, आंदोलन की वजह से तत्तकालीन ब्रिटिश सरकार ने 1829 ई में कानून बनाकर सती प्रथा को अवैध घोषित कर दिया। इस कानून को पारित कराने में तत्तकालीन गवर्नर लॉर्ड विलियम बैंटिक का भी महत्वपूर्ण योगदान था।
आजाद भारत में सती कौन हुआ
सितंबर 1987 को राजस्थान में ” रुप कंवर सती कांड” ने देश को हिला दिया था। इस कांड में रुप कंवर नाम की 18 वर्षीय महिला पति के शव को गोद में रखकर चिता में भस्म हो जाती है। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां भी बटोरी थी। आज भी उस गांव के लोग रुप कंवर को सती मैया कहकर धार्मिक आयोजन करते हैं।