जानिए प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में क्या हॉर्मोनल बदलाव होते हैं?
आपको रोजमर्रा के काम जैसे बैठना, उठना, खड़े होना या फिर चलने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान शरीर में हॉर्मोन के बदलाव के कारण पेट खिंचा हुआ सा महसूस हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान लगभग 32 सप्ताह के बाद एस्ट्रोजन अपने उच्च लेवल पर होता है। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में एस्ट्रोजन का लेवल पहली तिमाही की अपेक्षा छह गुना ज्यादा होगा। हॉर्मोन के बदलाव के कारण आपको अपने पैरों के आसपास अधिक सूजन दिखाई देगी।
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में एसिड रिफ्लक्स की समस्या से बचने के लिए खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
प्रोलेक्टिन हॉर्मोन स्तनपान के लिए जिम्मेदार ऊतक को उत्तेजित करने का काम करता है। प्रोलेक्टिन का स्तर गर्भावस्था के आखिरी समय पर बहुत बढ़ जाता है। ये करीब 10 गुना तक बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में आपका डॉक्टर आपको सिंथेटिक ऑक्सिटोसिन दे सकता है या पिटोसिन नामक दवा दे सकता है। ऑक्सिटोसिन संकुचन पैदा करने का काम करती है। साथ ही ये गर्भाशय ग्रीवा को सॉफ्ट बनाने का काम करती है। ये लिगामेंट्स को ढीला करती है ताकि डिलिवरी के समय किसी प्रकार की दिक्कत न हो।