स्विट्ज़रलैंड का ऐसा शख्स ,जो शवों से बना देता है डायमंड जानिए कैसे

जादू और नजर बंद करके इंसान को क्या से क्या बना देने का नजारा तो आपने किसी सर्कस या जादूगर के किसी शो में देखा ही होगा. जिसमे जादूगर अपने तंत्र-मन्त्र और जादुई विद्या से इंसान को फल, जानवर, या फिर कोई निर्जीव वस्तु को सजीव और सजीव को निर्जीव बना देता है. मगर दुनिया में एक ऐसा इंसान भी है जो सचमुच में मरे हुए इंसान को हिरा बना देता है. जी हां एशिया के कुछ ऐसे देश है जहा रिनाल्डो विल्ली नाम के इंसान ने ये कारनामा कर दिखाया है.

यदि आप अपने किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद उनकी यादों को डायमंड (हीरा) के रूप में सहेजकर रखना चाहे तो आप को स्विट्ज़रलैंड के रिनाल्डो विल्ली की कंपनी से संपर्क करना होगा. जो मरे हुए इंसानों को डायमंड में बदलने कारोबार करती है. यह बात सुनने में बड़ी ही अजीब लग सकती है पर यह है एकदम सत्य.
लाश को हीरा बनाने में लागत होती है लाखों रुपये
वैसे तो इंसान के मरने के बाद उसकी कीमत मिटटी के सामान हो जाती है. मगर मरने वाले के चाहने वालों का मोह उन्हें कीमती ही मानता है.

इसी भावना को ध्यान में रखते हुए स्विट्ज़रलैंड के रिनाल्डो विल्ली ALGORDANZA नाम की एक कम्पनी शुरुआत की. जिनकी कंपनी में उन्नत तकनीक का प्रयोग करते हुए इंसान के अंतिम संस्कार के बाद बची राख को डायमंड में परिवर्तित किया जाता है. ALGORDANZA एक स्विस शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है “यादें”. कंपनी हर साल लगभग 850 लाशों को डायमंड में तब्दील कर देती है. इस काम का खर्च हीरे के आकर पर निर्भर करती है जो की 3 लाख से 15 लाख के बीच बैठती है.

गलतफहमी की वजह से जीता कि राख से हीरा बनाने का आया विचार
रिनाल्डो विल्ली को इंसान की जिता का राख या अस्थियों से डायमंड बनाने का विचार कैसे आया इसकी कहनी भी बड़ी रोचक है. लगभग 10 साल पहले रिनाल्डो के एक टीचर ने उसे एक आर्टिकल पढ़ने को दिया जो की सेमी कंडेक्टर इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले सिंथेटिक डायमंड के उत्पादन के ऊपर था. उस आर्टिकल में यह बताया गया था कि किस तरह एशेज ( राख ) से डायमंड बनाए जा सकते है. रिनाल्डो ने गलती से इसे ह्यूमन एशेज समझ लिया जबकि आर्टिकल में वेजिटेबल एशेज का जिक्र था.

रिनाल्डो को यह आईडिया पसंद आया और उसने अपने टीचर से ह्यूमन एशेज को डायमंड में बदलने के ऊपर और जानकारी मांगी. तब टीचर ने उसे बताया कि तुम गलत समझ रहे हो. यह ह्यूमन एशेज की नहीं बल्कि वेजिटेबल (सब्जियों) ने कहा कि अगर वेजिटेबल एशेज को डायमंड में बदला जा सकता है तो ह्यूमन एशेज को क्यों नहीं ? टीचर को यह विचार पसंद आया और उसने उस आर्टिकल के लेखक से संपर्क किया , जो स्विट्ज़रलैंड में ही रहता था तथा जिसके पास सिंथेटिक डायमंड बनाने की कुछ मशीने थी. फिर उन्होंने उस आईडिया पर मिल के काम किया और कम्पनी ALGORDANZA अस्तित्व में आई.

अधिक गर्मी और दबाव से बन जाता है चीते की राख से हीरा
ह्यूमन एशेज से डायमंड बनाने के लिए वो सबसे पहले ह्यूमन एशेज को स्विट्ज़रलैंड स्तिथ अपनी लैब में मंगवाते है. लैब में एक विशेष प्रकिया के द्वारा उस ह्यूमन एशेज से कार्बन को अलग किया जाता है. इस कार्बन को बहुत अधिक तापमान पर गर्म करके ग्रेफाइट में परिवर्तित किया जाता है. फिर इस ग्रेफाइट को एक मशीन में रखा जाता है जहा पर ऐसी कंडीशन बनाई जाती है जैसी की जमीन के बहुत नीचे होती है यानि कि बहुत अधिक दवाब और बहुत अधिक तापमान. इस कंडीशन में ग्रेफाइट को कुछ महीनो के लिए रखा जाता है जिससे की वो ग्रेफाइट डायमंड में बदल जाता है.

असली और नकली हीरे में कोई फर्क नहीं बस कीमत होती है अलग
रासायनिक संरचना और गुणों के आधार पे सिंथेटिक डायमंड और रियल डायमंड में कोई फर्क नहीं होता है. दोनों की रासायनिक संरचना और रासायनिक गुण समान होते है. एक मात्र फर्क इनकी कीमतो में होता है. रियल डायमंड, सिंथेटिक डायमंड से महंगे आते है. इन दोनों डायमंड में फर्क करना बहुत मुश्किल होता है यहाँ तक कि एक अनुभवी ज्वेलर्स भी उनमे फर्क नहीं कर सकता है. इनमे फर्क करने का एक मात्र तरीका केमिकल स्क्रीनिंग है जो कि लैब में हो सकती है.

बता दें कि दुनिया में ALGORDANZA के फिलहाल 12 देशों में ब्रांच है, जिनमे से एशिया में चार (जापान, सिंगापूर, हांगकांग, थाइलैंड) है. जहा आप अपना आर्डर दे सकते है. भारत में फिलहाल ब्रांच नहीं है.

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