बारकोड को किसने बनाया था?
1974 में पहली बार हुआ था बारकोड का इस्तेमाल, 1994 में आया क्यूआर कोड
एक वर्ष पहले
प्रतीकात्मक फोटो
1) बारकोड और क्यूआर कोड से जुड़ी खास बातें
- इसमें 0 से लेकर 9 तक की तक की संख्याएं होती हैं। इन संख्याओं का प्रतिनिधित्व 7 काली और सफेद पटि्टयां करती हैं। हर संख्या के हिसाब से इसका पैटर्न अलग होता है।
- बार कोड़ की शुरुआती पांच संख्याएं निर्माता कंपनी की आईडी संख्या होती है और अगली पांच से उत्पाद की संख्या।
- साल 1974 में च्यूइंगम के पैक में बारकोड का इस्तेमाल किया गया था।
- बारकोड की हर रेखा अलग-अलग संख्या होती है। 1 से 9 तक के बीच कोई भी संख्या हो सकती है। इसमें कुछ सफेद तो कुछ काली हो सकती हैं।
- बरकोड के जरिए किसी भी सामान की कीमत, निर्माण की तारीख, वजन आदि जैसी कई बातों का पता चल सकता है। हालांकि इसमें क्यूआर कोड़ के मुकाबले कम जानकारी स्टोर की जा सकती है।
- बार कोड का यूज शॉपिंग माल या बड़े ग्रोसरी स्टोर पर प्रोडक्ट की प्राइसिंग, बिलिंग काउंटिंग, टैगिंग आदि के लिए होता है
- क्यूआर कोड का इस्तेमाल सबसे पहले जापान की कंपनी ने किया था।
- इसमें क्यूआर का मतलब क्विक रिस्पांस होता है। इस कोड को तेजी से रीड करने के लिए बनाया गया है।
- यह बारकोड का अपग्रेड वर्जन है। बारकोड के कटने-फटने की परेशानी के कारण क्यूआर कोड बनाया गया है।
- क्यूआर कोड का खास तरह की जानकारी को सांकेतिक शब्दों में बदलने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- 1994 में कार निर्माता कंपनी टोयोटा समूह के एक जापानी सहायक, डेन्सो वेव द्वारा इसे डेवलप किया गया।
- क्यूआर कोड पहली बार ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल और रिटेल इंडस्ट्रीज में इन्वेंटरी को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
- क्यू कोड 7,089 न्यूमेरिक कैरक्टर्स (बिना स्पेस के) स्टोर कर सकते हैं। 2,953 अल्फान्यूमेरिक कैरक्टर्स स्पेस और विराम चिह्न के साथ स्टोर कर सकते हैं।