पहला एनकाउंटर कब और कहाँ हुआ था? जानिए

मन्या सुर्वे (Manya Surve) को अपराध की दुनिया में उसका सौतेला भाई भार्गव दादा लाया. भार्गव और उसके दोस्त पोधाकर के साथ मिलकर मन्या सुर्वे ने सन 1969 में किसी दांदेकर का मर्डर किया था.

कहते हैं कि देश में सबसे पहला एनकाउंटर (Encounter) मुंबई (Mumbai) के सबसे खतरनाक डॉन मन्या सुर्वे (Manya Surve) का हुआ था. वही मन्या सुर्वे जिसपर जॉन अब्राहम की फिल्म शूटआउट एट वडाला बनी. 1990 में रिलीज हुई फिल्म ‘अग्निपथ’ में अमिताभ बच्चन ने और 2012 की फ़िल्म अग्निपथ में ऋतिक रोशन ने जिस विजय दीनानाथ चव्हाण का किरदार निभाया, वह भी मन्या सुर्वे पर ही केंद्रित था.

1970 और 80 के दशक में मुंबई में मान्या सुर्वे की धौंस चलती थी. लोगों में उसका डर था, वो दाऊद इब्राहिम और उसके बड़े भाई शब्बीर इब्राहिम का जानी दुश्मन था. दाऊद और अफगानी माफिया के साथ उसका छत्तीस का आंकड़ा था।

BA करने के बाद अपराध की दुनिया में रखा कदम

मन्या सुर्वे का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था. उसने मुंबई के कीर्ति कॉलेज से बी.ए. किया और फिर अपराध की दुनिया में क़दम रखा, तो अपने साथ पढ़े कुछ दोस्तों को भी गैंग में शामिल कर लिया.

मन्या को अपराध की दुनिया में उसका सौतेला भाई भार्गव दादा लाया. भार्गव और उसके दोस्त मन्या पोधाकर के साथ मिलकर मन्या सुर्वे ने सन 1969 में किसी दांदेकर का मर्डर किया था. इस कत्ल में उनकी गिरफ्तारी हुई, मुकदमा चला और उम्र क़ैद की सजा हुई.

सजा के बाद उन्हें मुंबई के बजाय पुणे की यरवदा जेल में रखा गया. मन्या सुर्वे जेल में और ज़्यादा ख़ूंख़ार हो गया. यरवदा जेल में उसका ऐसा आतंक था कि परेशान होकर जेल प्रशासन ने उसे रत्नागिरी जेल भेज दिया.

इससे नाराज मन्या सुर्वे ने रत्नागिरी जेल में भूख हड़ताल कर दी. हड़ताल के दौरान वह एक चर्चित विदेशी उपन्यास पढ़ता रहा, जिसमें लूट की कई अनूठी मोडस ऑपरेंडी लिखी हुई थीं.

पुलिस को चकमा देकर अस्पताल से भागा मन्या

14 नवंबर 1979 को वह पुलिस को चकमा देकर अस्पताल से भाग निकला. मुंबई आने के बाद उसने अपने गैंग को फिर से खड़ा किया, कई बड़े गैंगस्टर और उस दौर के कुख्यात रॉबर भी इस गैंग में शामिल हुए.

इसके बाद इस गैंग ने चोरी-डकैती से लेकर कई तरह की वारदातों को अंजाम दिया. मन्या सुर्वे की दहशत बढ़ी, मुंबई में कानून व्यवस्था पर सवाल उठे और पुलिस की कार्यशैली पर उंगलियां उठने लगीं.

मन्या सुर्वे की खोजबीन शुरू हुई तो पुलिस ने उसके कई साथियों को एक-एक करके गिरफ्तार किया. लम्बी लुका-छुपी के बाद फिर 11 जनवरी, 1982 को वह वडाला में आंबेडकर कॉलेज के पास एक ब्यूटी पार्लर में अपनी गर्लफ्रेंड को लेने आया.

जब एनकाउंटर में ढेर हुआ मन्या

यहां पर मुंबई पुलिस के इशाक बागवान की टीम ने एनकाउंटर में मन्या सुर्वे को ढेर कर दिया. पुलिश सूत्रों के मुताबिक, मन्या सुर्वे की गर्लफ्रेंड विद्या जोशी से ही पुलिस को उस तक पहुंचने का रास्ता मिला.

मान्या की मौत कुछ लोगों के लिए राहत और ख़ुशी देने वाली खबर थी. कहा जाता है कि मान्या सुर्वे उस दौरान दाऊद से कई गुना ज्यादा ताकतवर था. लेकिन फिर मन्या के एनकाउंटर ने दाऊद इब्राहिम को ताक़तवर बना दिया था.

कहते हैं कि यही वह पुलिस एनकाउंटर था जिसके बाद अंडरवर्ल्ड को अपने दुश्मनों को खत्म करने का एक नया हथियार मिला. पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 1982 में मान्या सुर्वे के मारे जाने के बाद 2004 तक मुंबई में 662 कथित अपराधी पुलिस की गोलियों का शिकार बने.

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