जानिए ,पेड़ पौधों की पत्तियां क्यों गिरती है और उन में पतझड़ क्यों आता है
जिस तरह हर जीव का जन्म और अंत होता है उसी तरह ही पेड़ पौधों का भी जन्म और अंत होता रहता है। ऐसे ही वृक्षों में जीवन होता है और मौसम के आधार पर उनमें पतझड़ या बहार बाहर आती है।
अधिकतर पेड़ पौधों में पत्तियां सर्दियों के समय गिरती हैं और वसंत के समय में नई पत्तियां आ जाती हैं। जब वृक्षों पर से सारी पत्तियां झड़ जाती हैं तो ब्रश कंकाल के समान प्रतीत होते हैं। सभी वृक्षों पर पतझड़ होता है और नई पत्तियां आती है जिससे वह फिर से हरा भरा हो जाता है।
कुछ वृक्ष ऐसे होते हैं जो पत्तियां पूरी तरह से गिरा देते हैं जिन्हें डिसिदुअस वृक्ष बोला जाता है जबकि कुछ वृक्ष ऐसे होते हैं जो हरे-भरे दिखाई देते हैं और उनके पतझड़ का पता ही नहीं चलता उन्हें सदाबहार वृक्ष कहा जाता है। सदाबहार वृक्ष की पत्तियों की उम्र 2 से 3 वर्ष होती है।
पत्तियां गिराने वाले डिसीडुअस वृक्ष वह होते हैं जो हर साल पत्तियां गिराते हैं जैसे शीशम चंदन अर्जुन और बांस के वृक्ष इसी श्रेणी में आते हैं। ऐसे वृक्ष साल में एक बार पूरी पत्तियां गिरा देते हैं और सूखे हुए दिखाई देते हैं। सर्दियों के समय यह गिरा कर पूरी तरीके से बिना पत्तियों के हो जाते हैं और बसंत के आते-आते फिर से हरे भरे दिखने लगते हैं।
सदाबहार वृक्षों की यही खूबी है कि उन्हें आप ही देख कर यह पता नहीं लगा सकते कि इनमें पतझड़ हो रहा है या नहीं क्योंकि यह एक साथ पत्तियां नहीं छोड़ते।देवधर और चीर के वृक्ष सदाबहार होते हैं और सदा ही हरे-भरे दिखाई देते हैं उसी तरह जैतून का पौधा भी सदा हरा भरा दिखाई देता है।सदाबहार वृक्षों में चाय का पौधा संतरे का पेड़ ताड़ का पेड़ भी आता है।