जानिए कुरान का महत्व और इतिहास क्या है?
कुरान इस्लाम धर्म की एक पवित्र पुस्तक है जो दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक है। कुरान को अल्लाह या ईश्वर का सच्चा शब्द माना जाता है। अल्लाह ने हजरत मोहम्मद साहब पर जिब्राइल के जरिए पैगाम सुनाया जिसे इस्लाम धर्म के मानने वाले ( वही) कहते हैं।
इस्लाम धर्म के मुताबिक 1400 साल पहले पवित्र कुरान लोगों के सामने आया, कुरान का असल में खुलासा 610 से 632 तक हजरत मोहम्मद साहब के साथी ( सहाबा कहते हैं) ने पूर्ण रूप से एक ग्रंथ जिसे पवित्र कुरान कहते हैं पुस्तक सम्पूर्ण रूप से प्रकाशित किया गया.
अरबी भाषा में पवित्र कुरान शब्द का अर्थ ” सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब ” इस्लाम धर्म के मानने वालों का कहना है कि कुरान ही हमारा सामाजिक, धार्मिक और कानूनी मामलों में अंतिम और आखिरी अधिकार है।
पवित्र कुरान असल में एक ऐसा ग्रंथा और किताब है कि इसमें अल्लाह ने इंसानों के लिए एक पवित्र, पाक, संदेश (पैगाम) सुनाया है।
पवित्र कुरान का मकसद
पवित्र कुरान को हजरत मोहम्मद साहब पर उतारने का एक सबसे खास और अहम मकसद यह था, कि अरब के लोगों में शांति और सौहार्द्र लाना, जब हजरत मोहम्मद साहब ने लोगों को पवित्र कुरान सुनाना और इसमें लिखी हुई बातों को लोगों को बताना शुरू किया तो जो अनपढ़ लोग भी जो उस समय के वहां के बादशाह या सरदार हुआ करते थे पवित्र कुरान सुन कर सभ्य हो गए थे।
कुरान असल में जिंदगी गुजारने, कारोबार, नीति, परंपरा, और भी बहुत सारी चीज़ें को करने का एक बेहतरीन तरीका और रास्ता बताता है क्योंकि पवित्र कुरान सिर्फ यह एक किताब नहीं है।
कुरान में क्या है
पवित्र कुरान में जिंदगी गुजारने का तरीका, व्यापार करने का सही और मूल्य तरीका, रिश्तो को समझने और उनकी बारीकियों की तकनीकीओं का जानने का तरीका, युद्ध और जंग में सही किरदार और एक सभ्य समाज बनाने का तरीका, जायदाद का बंटवारा और भी बहुत सारी चीजों के बारे में हमें कुरान बताता है।
इस्लाम धर्म को मानने वाले का कहना है कि पवित्र कुरान एक ऐसा मार्गदर्शन है जो हमें अल्लाह/ईश्वर की तरफ से एक आखिरी और अंतिम पैगाम सुनाया गया है। मुस्लिम इस पवित्र कुरान को धर्म की सच्चाई और अच्छाई का एक पवित्र संदेश मानते हैं।
दुनिया का सबसे पहला इस्लामिक संगठन (सहाबा किराम)
मुस्लिम जानकारों और इतिहास के मुताबिक हजरत मोहम्मद साहब ने मक्के और मदीने में एक आजाद मुस्लिम समुदाय और कुछ साथियों को लेकर गठन किया।
फिर अपने सारे साथियों को कुरान पढ़ने और कानूनों को सीखने का बिल्कुल मुकम्मल तरीके से आदेश दिया। फिर इसी तरीके से मुस्लिम समाज का एक समूह काफी पढ़ा लिखा, होशियार अकलमंद और ताकतवर बना।
जो बकरी चराने वाले थे उन्होंने राज्यों और देशों को चलाना सीख लिया। जिन्हें कॉफी और चाय में फर्क का मालूम नहीं था उन्होंने लोगों को राजनीति के गुर और सही तरीके बताने लगे। जिनकी जिंदगियां एक ऊंट और बकरी तक ही महदूद थी, देखते ही देखते उन्होंने पूरी दुनिया पर अपनी हुकूमत का परचम लहरा दिया। उन्होंने रेशम के कारोबार से लेकर वैज्ञानिक तत्वों को भी हिला कर रख दिया।
शुरुआत में कुरान कहां लिखा गया।
मुस्लिम समुदाय और जानकारों के मुताबिक शुरुआत में कुरान तो कुछ लोगों को याद, तो कुछ लोगों को कहीं कहीं पर और थोड़ा थोड़ा सा याद भी था। फिर इसे तख्तो, जानवरों के खालो पर, लकड़ियों और हड्डियों पर, खजूर के पत्तों और घर की दीवारों पर दर्ज किया गया था।
पवित्र कुरान को संपूर्ण रूप से एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित कब किया गया ?
सन 632 में हजरत मोहम्मद साहब के निधन/मौत के बाद कुरान को लिखा गया।
कुरान को कैसे और किसने लिखा।
शुरुआत में हजरत मोहम्मद साहब के कुछ साथियों और साथ रहने वाले लोगों को कुरान तो पूरा पूरा याद था। फिर इसके बाद एक बड़ी बैठक बुलाई गई, जिसके अध्यक्ष हजरत अबू बकर ने सन 634 में पवित्र कुरान को एक पुस्तक/ किताब के रूप में इकट्ठा और जमा करने का आदेश दीया।
पवित्र कुरान के प्रथम लेखक कौन थे ?
कुरान की सबसे पहले और बड़े लेखक हज़रत ज़ैद बिन साबित ने सन 655 में पहले खलीफा/ नेता हजरत अबू बकर के मातहत में पवित्र कुरान को इकट्ठा/ जमा करके एक किताब/पुस्तक की शक्ल दी। क्यों ?
जब हजरत मोहम्मद साहब कुरान सुनाया करते थे तो उस वक्त जैद बन साबित ही सबसे ज्यादा लिखना और पढ़ना जानते थे।
मैंने आपसे पहले ही कहा है कि हजरत मोहम्मद साहब उम्मी/ पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन हजरत मोहम्मद साहब को अल्लाह ने सारे इंसानों से ज्यादा नॉलेज और जानकारियां दी थी। ऐसा मुस्लिम धर्म के मानने वालों का कहना है।
कुरान के बारे में खास रोचक तथ्य
ऐसे तो कुरान के बारे में मैंने खास और दिलचस्प रोचक तथ्य और महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा करके और कुछ रिसर्च करके नीचे लिखा है।
लेकिन सबसे ज्यादा पवित्र कुरान के बारे में दिलचस्प बात यह है कि जब से पवित्र कुरान को प्रकाशित किया गया है, तब से लेकर आज तक कोई बदलाव या अपडेट नहीं हुआ है।
मेरा कहने का मतलब यह है कि इसमें किसी भी प्रकार, या किसी के द्वारा कोई एक भी बदलाव नहीं किया गया है सबसे शुद्ध और जैसा हजरत मोहम्मद साहब के साथियों के समय में लिखा गया था वैसे आज भी मुसलमानों और इस्लाम धर्म के मानने वालों के पास मौजूद है।
पवित्र कुरान को किसी दूसरे भाषा में लिखना कैसा है?
कुरान को किसी और भाषा में लिखना भी इस्लाम धर्म के जानकार और विशेषज्ञों के हवाले से नाजायज (सही नहीं) है।
इस्लाम धर्म की मान्यता
इस्लाम धर्म को मानने वाले का कहना यह है कि अल्लाह ने सबसे पहले फरिश्तों को नूर/रोशनी से पैदा किया है। फिर इसके बाद जिन्न/ शैतान को आग से पैदा किया है। फिर मिट्टी से हजरत आदम को और हजरत आदम के बांए पसली से हजरत होव्वा (हजरत आदम की बीवी) को पैदा किया है।
इस्लाम धर्म के जानकारों और विश्लेषकों का मानना यह है कि अल्लाह ने शैतान और फरिश्तों को हुक्म दिया था के तुम लोग हजरत आदम को सजदा करो। फर