गुलाम नबी आजाद के लिए प्रधानमंत्री मोदी क्यों रो रहे थे? जानिए
कुछ मित्र जों की राकेश टिकैत के आंसुओं पर मातम मना रहे थे वही लोग कह रहे हैं कि मोदी जी का रोना गैर जरूरी था..और कई लोग इसे घड़ियाली आंसू बता रहे हैं..कुछ मित्रो का मत हैं कि मोदी जी ग़ुलाम नबी आजाद को BJP में लाना चाहते हैं लेकिन वे आएंगे नही.
मैं खुद गुलाम नबी आजाद के भाषण का कायल हूं और वह अपनी बात को दमदार तरीके से रखते हैं और लोकसभा में कुछ विद्वान कांग्रेसी सांसदों के कुतरकों के इतर राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे नेता बीजेपी को अच्छी चुनौती देते रहे हैं ।
मोदी का रोना या गुलाम नबी बीजेपी में आयें या न आयें वो बड़ा मुद्दा नही है।
असल में कांग्रेस और तमाम विरोधी इस बात से खफा है कि जिस प्रकार गुलाम नबी ने भारतीय मुस्लिम होने पर गर्व प्रकट किया, जिस प्रकार उन्होंने पाक, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान के मुसलमानो से भारतीय मुसलमानो को बेहतर बताया, वो पाक, असहिष्णु गैंग के लिए तमाचे से कम नही. उनका ये बयान कांग्रेस की कुत्सितआइडिओलॉजी के उलट है।
वैसे अगर मोदी भावुक ना होते, तो इतनी चर्चा ना होती, और चर्चा ना होती, तो इंटरनेट के दौर में वायरल ना होता।और वायरल ना होता, तो एक नामचीन कश्मीरी और मुसलमान को 370 हटाए जाने के बावजूद भारत पर गर्व है, यह कैसे दुनिया जानती।
कुछ लोगों का कहना है कि ग़ुलाम नबी आज़ाद पिछले साल तक मुस्लिम क्षेत्रों में घूम-घूमकर कहते रहे हैं कि सबलोग मिलकर भाजपा के खिलाफ़ वोट करें नहीं तो भाजपा सरकार बना लेगी।
मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि एक अच्छे और समझदार व्यक्ति(ग़ुलाम नबी आज़ाद) और एक चिरकुट(हामिद अंसारी)में यही फ़र्क होता है। जब वोट चाहिए था तो स्तरहीन भी हुए लेकिन आज जब संसद में भारत और देश के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनी थी तब राजनीति से ऊपर उठकर दिल से सत्य कहा।
वे भी चाहते तो हामिद अंसारी या आमिर खान(‘भारत में डर लगता है।’) की तरह भारत विरोधी बयान दे सकते थे। अगर यही कह देते कि आज देश में माहौल बिगड़ गया है तो कोई क्या कर लेता लेकिन उन्होंने देश की मर्यादा का ख़्याल रखा।
मैं यहाँ एक और बात कहूँगा नरेंद्र मोदी को लोगों की ठीक-ठीक पहचान है। आप ख़ुद देखिए हामिद अंसारी की रिटायरमेंट पर व्यंग्य किया(यानी मोदी को पता था यह आदमी आज कल में उल्टी करेगा) और आज़ाद की रिटायरमेंट पर भावुक होकर गद्गद भाव से विदाई दी यानी वे जानते थे कि यह आदमी सही है।कभी प्रखर कोंग्रेसी रहे प्रणव मुख़र्जी भी कांग्रेस के विपरीत गए थे तो ये मोदी द्वारा दिया गया आदर सम्मान ही था।
कितनी अजीब है गुनाहों की जुस्तुजू “इक़बाल”,
लोग नमाज़ भी जल्दी में पढ़ते है, फ़िर से गुनाह करने के लिए ।