कौरवों की विराट युद्ध में हार की क्या वजहें थी? जानिए
केवल एक ही कारण है और वह है दुर्योधन । पिछले 12 साल से अंगराज कर्ण कौरव सेना के प्रधान सेनापति थे । उनके सेनापतित्व में हस्तिनापुर पूरे संसार भर में फैल गया । उनकी आगे की योजना तो यह थी कि पृथ्वी के साथ साथ तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की जाए तथा इसी के साथ वैष्णव यज्ञ भी पूरा हो जाएगा ।
परंतु भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर अंगराज कर्ण को केवल इस पृथ्वी पर विजय प्राप्त करके ही संतुष्ट होना पड़ा । परंतु अगले ही साल में जब कौरवों को मत्स्य देश पर हमला करने का मौका मिला तब दुर्योधन भी अंगराज कर्ण के साथ था, जो कि इससे पहले 12 सालों तक कभी भी अंगराज कर्ण के साथ नहीं गया था ।
परंतु क्योंकि इस बार दुर्योधन जो कि हस्तिनापुर का युवराज भी था उसने सेनापति कर्ण को युद्ध करने के अनेक निर्देश दिए थे । अंगराज कर्ण ने कितनी ही बार दुर्योधन को समझाया कि यह सब ठीक नहीं है परंतु उसने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी ही करता रहा ।