किस हादसे की वजह से ललिता पवार की शक्ल बिगड़ गई थी? जानिए वजह
वर्तमान समय पुरे विश्व के लिए बड़ी कठिनाई का है। इस दौरान सब अपने-अपने घरों में क़ैद है। कोरोना संकट के कारण जहाँ देश में 24 मार्च से आरंभ हुआ लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है, वहीं दूरदर्शन ने लोगों को घरों रहने पर विवश करने में सक्षम एवं धर्म, नीति, मर्यादा व आध्यत्मिक ज्ञान से परिपूर्ण “रामायण” धारावाहिक का जब प्रसारण आरंभ किया, तो 22 वर्ष पूर्व 1998 में देहत्याग कर चुकीं ललिता पवार दर्शकों के सामने “मंथरा” के रूप में पुन: प्रकट हुईं।
यद्यपि रामायण में मंथरा की भूमिका खलनायिका की ही थी, परंतु क्या आप जानते हैं कि एक श्रेष्ठतम् बाल कलाकार से सम्मोहक अभिनेत्री की सफल यात्रा करने वालीं ललिता पवार को नायिका से खलनायिका बनने पर क्यों विवश होना पड़ा ? वास्तव में जिसे विधि का विधान या प्रारब्ध कहते हैं, उसी ने एक ऐसा खेल खेला कि एक सफलतम् नायिका को आजीविका चलाने के लिए खलनायिका बनना पड़ा। यद्यपि दुर्भाग्य से मिली इस चुनौती को भी ललिता पवार ने सौभाग्य में परिवर्त कर दिया।
भारत जब 1942 में अंग्रेज़ी साम्राज्य के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहा था, उसी वर्ष स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी फिल्म ‘जंग-ए-आज़ादी’ की शूटिंग चल रही थी। फिल्म एक दृश्य में अभिनेता भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मरना था। भगवान दादा के रूप में मानो स्वयं भाग्य विधाता ने ललिता पवार को इतना ज़ोर से थप्पड़ मारा कि ललिता पवार जमीन पर गिर गईं। उनके कान से खून निकलने लग।
अस्पताल में इलाज के दोरान उन्हें लकवा आ गया और बाईं आँख सिकुड़ गई तथा सुंदर चेहरा कुरूप हो गया। अपने जीवन में आये इतने बड़े संकट बाद भी उनके जीवन में एक नया ही संघर्ष आरंभ हुआ। एक अभिनेत्री के लिए उसका रूप ही सब कुछ होता है, जो हरि ने हर लिया था, परंतु जिसके पास कला का धन होता है, वह धन कभी धोखा नहीं देता। यही कारण है कि ललिता पवार को अभिनेत्री की भूमिका ऑफर करने वाले निर्माता-निर्देशक अब उन्हें खलनायिका की भूमिका ऑफर करने लगे।