साल में एक बार जैन लोग निर्वस्त्र होकर सड़क पर क्यों चलते हैं? जानिए वजह
यह बात सही नहीं है कि जैन लोग साल में एक बार निर्वस्त्र होकर सड़क पर चलते हैं । जैन धर्म में सिर्फ दिगम्बर मुनि ही निर्वस्त्र रहते हैं । जो व्यक्ति दिगम्बर मुनि की दीक्षा ले लेता है वह हमेशा के लिये वस्त्रों का त्याग कर देता है । दिगम्बर का अर्थ है कि दिशाएं ही उसका अम्बर अर्थात वस्त्र हैं । दिगम्बर मुनि पूरे जीवन निर्वस्त्र ही रहता है चाहे कडकडाती ठण्ड हो या चिलचिलाती धूप और कभी भी वाहन का प्रयोग नहीं करते ।
सदैव पैदल ही चलते हैं । एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने को विहार करना कहते हैं । ऐसा लगता है कि आपने विहार करते किसी दिगम्बर मुनि को देख लिया है जिससे यह ग़लत धारणा बन गई । हां, दिगम्बर मुनि 24 घण्टे में सिर्फ एक बार आहार लेते हैं । उसके अलावा भोजन तो क्या पानी तक भी नहीं लेते । जैन लोग हमेशा वस्त्र पहनते हैं । यहां तक कि किसी पूजा ,विधान व अनुष्ठान में भी अवसर के अनुसार उचित वस्त्र पहनते हैं ।