यह हैं दिल्ली की 5 best places to visit, पहली को देखर चौक जाएंगे आप
5. चाँदनी चौक (Chandani Chowk) :

दोस्तो अगर आप भी भीड़-भड़कके और खुशनुमा मंज़र वाली जगहों को देखने के शौकीन हैं तो उत्तरी दिल्ली का यह कौना आपके लिए एक बेहद ही पसंदीदा जगह होने वाली हैं, चाँदनी चौक सालों से न केवल दिल्ली बल्कि पर उत्तर भारत की एक बेहद ही अहम “Commercial location” यानी कि व्यापारिक स्थल हैं , इस जगह की अहमियत हम इस बात से ही लगा सकते हैं कि लगभग पूरे दिल्ली शहर की अर्थव्यवस्था का 65% से भी अधिक भाग यही की गलियों और कूचों में आबाद होलेसेल दुकानों और धंधों से आता हैं, इस जगह की जरूरत देश को कुछ हैं कि यहां जूते के फीते जैसी मामूली चीज का भी करड़ो रुपयों का व्यपार हैं तो आप इस बात का अंदाजा लगा ही लेंगे की यहां मौजूद 52 विभिन्न प्रकार के बाज़ारो में जिनमें से पालिका बाज़ार , भागिरत पैलेस इत्यादि प्रमुख हैं , उनमें रोजाना कितने रुपयों का व्यापार होता होगा ?
बहरहाल यह तो रही व्यपार आदि की बाते पर अगर यहां आने का इरादा घुमक्कड़ी और खरीदारी से हो तो फिर तो इस जगह के कहने ही क्या !
पास ही में मौजूद लाल किले ने सदियों से इस जगह की अहमियत को जस के तस बरकरार रखा हुआ हैं।
अगर हम यहां मौजूद कुछ खास जगहों को देखें जहां आपको जरूर जाना चाहिए तो वह कुछ यू हैं :

- दक्षिण से विशेषकर आये मसलों की खुशबू से लदा खारी बाओली का बाजार , इसका सिर्फ नाम खारा मैं मगर यहां की फिजाओं में एक अलग ही मिठास हैं।
- अक्षय कुमार से ताल्लुक रखने वाली पराठे वाली गली , यू तो यह जगह किसी विशेष की पहचान की मोहताज नही हैं, मगर फिर भी यह गालियां मशहूर बॉलीवुड अभिनेता “अक्षय कुमार” के संघर्ष के दिनों की प्रत्यक्षदर्शी हैं।
- लाल किला परिसर में आज भी मुगलिया सल्तनत की अमानतों की इफजत करता पुरातत्विक संग्रहालय
- रोजाना रविवार के दिन लगने वाला दरयागंज किताब बाज़ार जो कि लाखों जेब से गरीब विधायर्थियो का हमसफ़र हैं।
- और सबसे जरूरी आज भी द्वित्तीय विश्वयुद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य की ओर लड़े भारतीय जवानों को सलामी देता Indian war memorial भी तो यही हैं।
क़ुतुब मीनार (Qutub minar) :

दिल्ली के दक्षिण में स्थित यह हैं क़ुतुब मीनार जो कि यू तो अपने जन्म के साथ ही कई सारे तमगों को अपने नाम किये हुए हैं, अगर तथ्यों पर जाए तो 73 मीटर ऊची यह मीनार दुनिया की सबसे ऊंची इटो की बनी मीनार हैं, यू तो इतिहास की किबातो का यह कहना हैं कि वर्ष 1193 में निर्मित क़ुतुब मीनार का इस्तेमाल पास ही में मौजूद क़ूवत-उल-इस्लाम मस्जिद में नमाज़ लगाने के लिए किया किया जाता हैं, मगर आज के कई इतिहासकार इस बात से इत्तेफाक नही रखते हैं, इसके पीछे यह तर्क दिया जाता हैं कि 73 मीटर की ऊंचाई पर जाने के बाद शायद ही किसी शक्श की आवाज वापस जमीन तक पहुँचती होगी ! (यहां ध्यान देने वाली बात यह हैं कि उस वक्त किसी भी प्रकार का कोई लाउडस्पीकर और साउंड सिस्टम आदि मौजूद नही था)
साथ ही “महरावली” और क़ुतुब मीनार को हिंदू इमारत के तौर पर दर्शित करने वाली कई विचाधारए इस शक को और भी गहरा देते हैं।
बहरहाल अगर आप “क़ुतुब मीनार” घूमने जा रहे हैं तो आपको कुछ खास बातों को ध्यान रखना होगा जैसे कि क़ुतुब मीनार सपताह के सातों दिन पर्यटकों के लिए खुला हुआ हैं , अगर हम इज़की Timing की बात करें तो यह सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक हैं। (7am-5pm)
भारतीयो के लिए इसका प्रवेश शुल्क (Entry charge) महज ₹35 हैं, तो वहीं विदेशियों के लिए यह शुल्क ₹550 हैं।

◆ कैसे पहुँचे ?
क़ुतुब मीनार तक जाने के लिए तीनो ही प्रकार की परिवहन सेवाएं train , metro train और bus सेवा उपलब्ध हैं, यहां दिल्ली मेट्रो की पीली लाइन और दिल्ली परिवहन निगम (D.T.C) की बस भी उपलब्ध हैं।
(जिनका विवरण निम्नलिखित हैं)
- नज़दीकी Railway station = पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन (old delhi railway station)
- नजदीकी Metro station = क़ुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन (Qutub minar metro station)
- नजदीकी Bus stop = कश्मीरी गेट बस स्टॉप (Kashmiri gate bus stop)