माँ दुर्गा की इस आरती से करें आराधना

माँ दुर्गा की कई आरतियों के बारे में मैंने पोस्ट प्रकाशित की है. आप लोगों ने उसे पसंद भी किया है. आज के इस पोस्ट में माँ दुर्गा की एक और आरती प्रस्तुत कर रहा हूँ. आप इस आरती के द्वारा माँ दुर्गा की आराधना कर सकतें हैं. माँ दुर्गा की श्रद्धा और भक्ति के साथ आराधना करें. माँ दुर्गा आप पर अपनी कृपा बरसायेंगी.

माँ दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।

ॐ जय अम्बे गौरी………

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी,

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥

ॐ जय अम्बे गौरी………

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।

ॐ जय अम्बे गौरी………

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