महाभारत में शकुनि के लंगड़ा होने के बावजूद भी पांडवों ने उस पर दया क्यों नहीं की? जानिए वजह

शकुनि लंगड़ा नहीं था। वो एक ताकतवर योद्धा था जिसने अपने भाइयों के साथ गांधार की सेना का नेतृत्व किया था कुरुक्षेत्र के युद्ध में। उसकी अश्वसेना ने घमासान युद्ध किया था।

जब बीआर चोपड़ा महाभारत पर tv सीरीयल बना रहे थे, उस समय गूफ़ी पेंटल (जिन्होंने शकुनि का किरदार निभाया था) को पैर में तकलीफ़ थी, जिसके कारण वो हल्का सा लंगड़ाते थे। उस समय सभी को शकुनि के किरदार को और भी कुटिल दिखाने के लिए यह बात पसंद आ गई, और गूफ़ी जी ने अपना इलाज शूटिंग के पूर्ण होने तक नहीं करवाया।

लंगड़ाना, एक आँख को छोटा करके देखना, इत्यादि भाव-भंगिमा गूफ़ी जी ने अपनी ओर से किरदार में जोड़ी थीं, जो इतनी सफल रहीं कि बिना सोचे-समझे स्टारभारत में शकुनि बने प्रणीत ने भी उनकी नक़ल कर ली! महाभारत ग्रंथ में कहीं भी शकुनि के लंगड़े, काने या कुरूप होने का कोई विवरण नहीं है, और ना ही उसके पासे अपने पिता या भाइयों की अस्थियों से बने थे।

जहाँ तक शकुनि पर दया का प्रश्न है, तो शकुनि महाभारत के चार दुश्चरित्रों में से एक था। दुर्योधन को अधर्म का वृक्ष, कर्ण को वृक्ष का तना, शकुनि को वृक्ष की शाखाएँ व दुशासन को वृक्ष के फल-फूल कहा गया है। इनमे से किसी पर भी दया दिखाने का कोई औचित्य ही नहीं था। रिश्तेदारी की आड़ में दुर्योधन व शकुनि ने पांडवों पर कई वर्षों तक बहुत अत्याचार किए थे। अत्याचार करने वाला लंगड़ा, अंधा, अनाथ, गरीब या निम्न जाति या अल्पसंख्यक वर्ग का हो, इससे उसके द्वारा किया गया अत्याचार हवा नहीं हो जाता; दंड का भागी वो भी होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *