महाभारत का वह कौन सा पात्र है, जिसको हटा देने पर महाभारत का युद्ध टल जाता? जानिए
1- कृष्ण –
सबसे पहले ,अगर कृष्ण ना होते तो युध्ह नहीं होता ,पांडव सन्यास ले लेते जो वो चाहते कर सकते तो कभी युध्ह नहीं होता ,,,या फिर पांडव बहुत पहले ही मारे जाते
२- धृतराष्ट्र- अगर ये पात्र ना होता तो युद्ध तो दूर पांडवों और कुरुओं का इतिहास ही कभी पढ़ने नहीं मिल पाता क्युकी तब दुर्योधन शकुनी की संगती में नहीं रह पाता और बाकि आगे जानते ही है आप
३- कर्ण-
ये एक ऐसा पात्र था जिसने अगर सत्य का साथ दिया होता तो भले युद्ध हो गया रहा होता लेकिन उसकी भयावहता बहुत कम होती ,,,,,,क्युकी कर्ण शुरू से दुर्योधन को उकसाता रहा है टीवी में जरुरु उसको महिमामंडित करके दिखाया गया कि उसकी मज़बूरी थी ,,,,
आप स्वयं सोचिये भगवन परशुराम के सानिध्य में रहा ये बंदा लेकिन जब भी इसको मौका मिलता ये बस प्रतिद्वंदिता अर्जुन से करने मिल जाए के चक्कर में अधर्म का साथ देता …..आप स्वयं सोचिये इतना पड़ा लिखा व्यक्ति अगर आज से तुलना करूँ तो परशुराम ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी है और द्रोणाचार्य देल्ही यूनिवर्सिटी , अब आप स्वयं अंदाजा लगा सकते है ,,,,कर्ण की शिक्षा का
लेकिन रंगभूमि में जब पहली बार कर्ण गया तो अपने गुरु द्वारा दिए व्यावहारिक ज्ञान को एक तरफ रख के दुर्योधन की मित्रता स्वीकार कर ली ये भी नहीं सोचा कि इसका परिणाम क्या हो सकता है जबकि वह उसी नगर का वासी था और कौरवों के अत्याचार बचपन से देखता आ रहा था ,,,,
ये बिलकुल वैसा है जैसे आप जब पहली बार घर से बहार शहर जाए और आपके माँ बाप समझाए ट्रेन में से हाथ बहार मत निकालना ,किसी अनजान व्यक्ति की दी चीज मत खाना ,,,,,,,,,
इतनी साधारण बात कर्ण भूल गया बस इस धुन में कि वो सबसे अच्छा धनुर्धारी है ,,,,,,
आप कहेंगे शकुनी का नाम नहीं लिया —— शकुनी सबसे रहस्यमयी पात्र है महाभारत का वो युद्ध कभी नहीं चाहता था अंतिम समय तक नहीं वह बस भीष्म को पीडा मिले अपमान मिले ,कुरु वंश की जो धाक है जिसका गर्व भीष्म लिए घुमते थे उसको मिटाना चाहता था
इस वंस पर कलंक चाहता था बस इसलिए वही कार्य दुर्योधन से करवाता था जैसे भाइयों से बैर , माँ बाप की अवहेलना , बड़ो का निरादर ,,,,,,षड्यंत्र ,,वो जानता था जब तक हस्तिनापुर सुरक्षित हाथो में नहीं जायेगा भीष्म प्राण नहीं त्यागेगे और तब तक जीवित रहने विवश रहेंगे।