पांडवों ने 1 वर्ष का अज्ञातवास कहाँ बिताया था? जानिए उसका नाम
विराट नगर मे जो कि मत्स्य देश कि राजधानी थी और यहां के राजा विराट थे. इसे आजकल के जयपुर से समानता कि जा सकती है. इसकी रानी का नाम सुलक्षणा था. इसके साले कीचक थे जो सेना का कार्य भार सम्हालते थे. वे भी सौ भाई थे. कीचक भी सूतपुत्र कहे गए है. बहुत बलशाली थे. माता ब्राह्मणी थी.
कीचक कि नज़र द्रोपदी पर पड़ी तो वह मोहित हो गया और जोर जबरदस्ती पर उत्तर आया. द्रोपदी रानी सुलक्षणा कि दासी का काम करती थी और सैरंध्री नाम बता रखा था. सैरंध्री जो कि द्रोपदी ही थी, को कीचक ने अपमानित किया गया तो भीम जो कि वल्लभ रसोईया बना हुआ था ,ने इस कीचक का वध किया. इसी कारण से कौरवों को अनुमान लगा कि पांडव विराटनगर मे हो सकते है. इसका निश्चय करने के लिए कौरवों ने विराट नगर पर हमला किया जबकि उनके आपसी सम्वन्ध ख़राब नहीं थे. इस युद्ध को विराट युद्ध कहा गया है इसमें अकेले अर्जुन ने ही सभी कोरवो को सेना सहित हराकर भगा दिया और उनसे गोधन को वापिस ले लिया.
विराट कि वेटी उत्तरा थी और पुत्र उत्तर था. उत्तरा का विवाह अभिमन्यु से हुआ था जो महाभारत युद्ध मे तेरहवे दिन चक्रव्यूह मे फंसकर मारा गया था. उत्तर कुमार को पहले दिन के युद्ध मे शल्य ने मार दिया था. राजा विराट को महाभारत युद्ध मे द्रोणाचार्य ने मारा था. उत्तरा और अभिमन्यु का पुत्र परीक्षत कुरु राज्य का उत्तराधिकारी बना और इसने युधिष्ठिर के 36 साल राज्य करके गद्दी चाग्ने के उपरांत 60 वर्ष तक राज्य किया. इनके समय ही कलयुग का आरम्भ माना गया है. इनको सर्प तक्षक ने काटा इनकी मृत्यु सर्प दंश से हुयी. इनके बाद हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ पर इनकी कई पीढ़िया राज्य करती रही. इनका उत्तराधिकारी जन्मंजय था जिसने सर्प यज्ञ किया था.