ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ‘बुध’ ग्रह का जात​क के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

● कुंडली मे बुध बुद्धि, तर्क शक्ति, वाक चातुर्य, ज्ञान, बुद्धिमत्ता, व्यापार , मामा , चचेरे भाई बहन, त्वचा, गर्दन, खुजली, आत्म संयम , उत्तर दिशा, शिक्षा, गणित, वाणी , लेखन का प्रतिनिधित्व करते है ।

● ज्योतिष शास्त्र , खगोल विज्ञान, सुख ,व्याख्यान, नम्र वाणी , शालीनता , नृत्य, भक्ति , हंसी मजाक, विद्वत्ता, मंत्र , यंत्र , तन्त्र , व्याकरण, रत्न पारखी या जौहरी कार्य , चिकित्सकीय गुण प्रदान करते है ।

● नवीन वस्त्र, भवन निर्माण, हरा रंग , सुन्दर रत्न , महल , पैदल सेना , पांडुलिपि , अश्व , काला जादू , सूर्योदय , हेमंत ऋतु मे बली , वंश वृद्धि , पक्षीयो के कारक है ।

● कुंडली मे बुध अपनी कन्या राशि मे 0° से 15 ° तक उच्च के रहेगे, 15° से 2 0° तक मूल त्रिकोण के रहेगे, 2 0° से 30 ° तक स्वराशि के माने गए है, इसी प्रकार मिथुन राशि मे 0° से 30° तक स्वराशि के होकर उत्तम फल प्रदान करते है मित्र राशि मे विराजमान होने पर या बली होने पर उपरोक्त फलो मे उत्कृष्टता प्रदान करेगे ।

● कुंडली मे बुध नीच राशि मीन मे विराजमान होने पर अंश बल हीन होने पर पाप ग्रह से युत या दृष्ट होने पर या अशुभ प्रभाव मे होने पर कारकत्व मे कमी रहेगी अधिक पीड़ा होने पर जातक बुद्धि हीन होने की संभावना भी रहेगी साथ ही बुध के कारकत्व वाले रोग होने की संभावना रहेगी ।

उपरोक्त बातो से स्पष्ट है बुध का कुंडली मे अच्छा होना आवश्यक है बुद्धि ही मानव जीवन का आधार है जिससे सम्पूर्ण सुखो की प्राप्ति की जा सकती है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *