जानिये हड्डियों के बारे में रोचक कुछ खास बातें
हमारी हड्डियों के बारे में कई ऐसी बातें हैं जो बेहद दिलचस्प और जानकारी परक हैं। आइए जानें कुछ खास बातें-
हमारी हड्डियां क्यों घट जाती हैं?
जन्म के समय शरीर में 300 हड्डियां होती हैं लेकिन मृत्यु के समय बचती हैं 206, इसकी वजह कई हड्डियां जैसे खोपड़ी आदि की हड्डियां जुड़कर एक इकाई बन जाना है।
हमारी बढ़त रूकती कैसे है?
हड्डियां ग्रोथ प्लेट के रूप में वयस्क होने तक बढ़ती हैं। लड़कों में टीनएज और लड़कियों में पीरियड शुरू होने के दो साल के अंदर बंद हो जाती है।
हड्डियों को कैसे खुश रखें?
हड्डियों का घनत्व 30 की उम्र तक बढ़ता है। इसके बाद व्यायाम न करने, केल्शियम की कमी से डेंसिटी कम होती जाती है।
कैसे जुड़ती हैं टूटी हड्डियां?
हड्डियों क क्षतिग्रस्त हुई सतह के तंतु आपस में जुड़कर खुद को सिल लेते हैं और एक नई हड्डी बन जाते हैं।
कंकाल है कमाल
ये हमें सहारा देकर सक्षम बनाता है। दिमाग, दिल और फेफड़े को सुरक्षा देता है। रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है और उन सभी मिनरल्स को सुरक्षित और नियमित करता है जो शरीर तंत्र के लिए जरुरी होते हैं।
सबसे ज्यादा हड्डियां
हमारे हाँथ, उँगलियों और कलाई में सबसे ज्यादा 54 हड्डियां होती हैं जो हमें लिखने, कुछ पकड़ने और हर तरह का काम करने में मदद करती हैं।
सबसे बड़ी और छोटी हड्डी
हमारी जांघ की 19 इंच लम्बी फीमर नाम की हड्डी शरीर में सबसे बड़ी होती है। इसके उलट कान में घुंडी नुमा स्टेपीज नाम की 0.11 इंच की हड्डी सबसे छोटी होती है। हड्डियों की मजबूती के लिए पर्याप्त मात्रा में केल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें।
हड्डियां जीवित टिश्यू हैं
हड्डियों मे मौजूद कोलेजन टिश्यूज़ खुद को हमेशा जीवंत और प्रगतिशील बनाए रखते हैं। ये कहना गलत न होगा कि ये इतनी तेज़ी से बढ़ते हैं कि हमारे आने वाले सात साल में हमें एक नया कंकाल मिल सकता है।
क्या हमारे दांत भी हड्डियां हैं?
नहीं, उन्हें हड्डियां नहीं कहा जा सकता क्यूंकि उनमें हड्डियों की तरह केल्शियम और मिनरल्स तो होता है पर कोलेजन टिश्यू नहीं होते जिससे उनमें लचीलापन नहीं होता।
महिलाओं-पुरूषों की हड्डियों में अंतर
लगभग समान होती हैं लेकिन एंगल और शेप का फर्क सिर्फ पेट के नीचे उदर क्षेत्र की पेल्विस हड्डियों में होता है।
कुछ हड्डियां कभी नहीं घूमती
कुछ हड्डियां जॉइंट्स के करीब सिमट जाती हैं। कुछ तेज़ी से घूमती हैं जबकि कुछ बिल्कुल नहीं घूमती। जैसे कि हमारी खोपड़ी में क्रेनियम।