जानिए 31 जनवरी चतुर्थी की व्रत और पूजा विधि

अपनी संतानों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत माघ कृष्णपक्ष चतुर्थी 31 जनवरी को मनाया जाएगा। देश के कई भागों में ये व्रत 1 फरवरी को भी मनाया जाएगा। यह व्रत सविधि संपन्न करने के लिए सभी मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार एक ही नियम हैं कि चंद्रमा का उदय और चतुर्थी दोनों संयोग होना चाहिए, अर्थात चंद्रमा को अर्घ्य तभी दिया जा सकता जब चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय हो रहा हो और चन्द्रदेव अर्घ्य तभी स्वीकार करेंगे जब चतुर्थी तिथि विद्यमान हो दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत 31 जनवरी और 01 फरवरी को भी
दिल्ली के समयानुसार 31 जनवरी को तृतीया तिथि रात्रि 08 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो रही है और चतुर्थी तिथि का शुभारंभ हो रहा है। इस दिन चंद्रमा का उदय रात्रि 08 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप चतुर्थी और चंद्रोदय का अच्छा संयोग मिल रहा है। इसलिए दिल्ली में संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत 31जनवरी को ही निर्विवाद रूप से मनाया जायेगा। आपके राज्य-शहर में भी ये व्रत चंद्रोदय के समय ही मनाया जाना है इसलिए स्थानीय चंद्रोदय के अनुसार ही व्रत का निर्णय करें।

गणेश और चन्द्रमा का मिलेगा आशीर्वाद
मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा पाठ वर्ष पर्यंत सुख शान्ति और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होता है। यह उत्तर भारतीयों का प्रमुख पर्व है। शास्त्र परंपरा के अनुसार इस दिन गुड और तिल का पिंड बनाकर उसे पर्वतरूप समझकर दान किया जाता है। गुड से गौ कि मूर्ति बनाकर जिसे गुड-धेनु कहा जाता है। रात्रि में चंद्रमा और गणेश की पूजा के उपरांत अगले दिन प्रसाद स्वरुप दान करना चाहिए। गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य, ऋतु फल आदि से गणेश जी का षोडशोपचार विधि से पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य भी दे।

चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ॐ चन्द्राय नमः। ॐ सोमाय नमः। मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए। व्रती को इस दिन चन्द्रमा के उदय की विशेष प्रतीक्षा रहती है। व्रत करने वालों के लिए यदि संभव हो तो दस महादान जिनमें अन्नदान, नमक का दान, गुड का दान, स्वर्ण दान, तिल का दान, वस्त्र का दान, गौघृत का दान, रत्नों का दान, चांदी का दान और दसवां शक्कर का दान करें। ऐसा करके प्राणी दुःख-दरिद्रता, कर्ज, रोग और अपमान के विष से मुक्ति पा सकता है। यदि यह सभी दान संभव न भी तो भी तिल और गुड से बना पिंड (पर्वत) का ही दान करके ईष्ट कार्य की प्राप्ति और संकट हरण भगवान गणेश कि कृपा का पात्र बन सकते है।

इस दिन गौ और हाथी को गुड खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। विद्यार्थी वर्ग गणेश चतुर्थी के दिन ॐ गं गणपतये नमः का 108 बार जप करके प्रखर बुद्धि और विद्या प्राप्त कर सकते हैं। ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धी महि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात। का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं से दूर करेगा।

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