जानिए किस समय का स्नान राक्षसी स्नान कहा जाता है?

हमारे हिंदू धर्म ग्रंथो मे सुबह के स्नान को चार उपनामो बताया दिया गया है।

मुनि स्नान : यह स्नान ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात 4 से 5 बजे के बीच किया जाता है।
देव स्नान : इस समय देवता लोग स्नान करते हैं इसका समय प्रात:काल 5 से 6 के बीच होता है।
मानव स्नान : यह स्नान प्रात:काल 6 बजे से 8 बजे के बीच होता है।
राक्षसी स्नान : यह स्नान प्रात: 8 बजे के बाद किया जाता है।

चारों स्नान का अलग-अलग है महत्व, इन चारों स्नान का अलग-अलग महत्व है

मुनि स्नान को सर्वोत्तम माना गया है. इस स्नान से सुख, शांति, समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य आदि प्रदान होता है।
देव स्नान को उत्तम माना गया है. देव स्नान करने से यश, कीर्ति, धन-वैभव, सुख-शान्ति और संतोष प्रदान होता है।

मानव स्नान को समान्य माना गया है. यह स्नान करने से सांसारिक कार्यो में सफलता मिलती है और परिवार में मंगल बना रहता है।

राक्षसी स्नान को निषेध माना गया है. राक्षसी स्नान करने से दरिद्रता, कलह, संकट, रोग और मानसिक अशांति प्राप्त होती है।

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