जानिए आखिर रात में पेड़ों से फूल व पत्ती तोड़ना वर्जित क्यों होता है?

रात में पेड़ों पर बहुत सी चिड़यों व अन्य जानवरों का बसेरा होता है। यह सभी सूरज के अस्त होने तक अपनी पसंद की जगह पर सेटल हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण है, कि अंधेरे में इनकी द्दष्टि बहुत कमजोर हो जाती है।

रात में फूल, फल या पत्तियों के तोड़ते समय विश्राम करते ये पक्षी व जानवर डिस्टर्ब हो जाते हैं, व सुरक्षा के द्दष्टिगत अपना स्थान छोड़ने पर मजबूर होते हैं। ऐसे में इनके दो ही हश्र होते हैं, (1) भृमित होकर किसी प्रिडेटर का आसान शिकार बन जाना, (2) डर कर हार्टअटैक से मर जाना। यानी ऐसे में मौत निश्चित है।

घोसलों में पल रहे छोटे बच्चों का दिल तो बहुत ही कमजोर होता है। छोटी सी अप्राकृतिक हलचल से तुरंत ये हार्टअटैक से मर जाते हैं। उनके लिए इस प्रकार की आसान मौत इस दयालु प्रकृति के इंतजाम का हिस्सा है। इन बच्चों के पैरंट्स दिशा हीन उड़कर अंधेरे में कहीं भटक जाते हैं।

यह मात्र एक उदाहरण है। इसी प्रकार से विश्राम करते अन्य जीव भी प्रभावित होते हैं। इन परिणामों के द्दष्टिगत ही रात में पेड़-पौधों से फूल-पत्ती तोड़ने को वर्जित किया गया है।

अब आप इसके पीछे छुपी सत्यता जान चुके हैं। क्या इसके बावजूद अब भी आप रात में पेंड़-पौधों को डिस्टर्ब करना चाहेंगे? नहीं, ना। मुझे मालूम है कि सत्य समझ लेने के बाद कोई ऐसा नहीं करना चाहेगा।

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