क्या रावण सच में ज्ञानी था? जानिए सच
रामायण में बुराई पर अच्छाई की जीत का पाठ हमें हमेशा से ही पढ़ाया जाता रहा है। राम और रावण के बीच का युद्ध, जिसमें राम सत्य के प्रतीक थे तो वहीं रावण असत्य का पताका हाथ में लिए था। हमें रावण को हमेशा अधर्मी और शैतान का रूप बताया गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण एक ऐसा रूप था, जिसके ज्ञान के आगे देवता भी नतमस्तक हो जाते थे! अपनी अधर्मी छवि के बावजूद रावण के कई ऐसे उदाहरण पेश किए जिससे पता चलता है कि वो सच में एक बहुत बड़ा ज्ञानी पुरूष था।
वेद और संस्कृत का ज्ञाता
रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था। वो साम वेद में निपुण था। उसने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की। साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था। इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी। पद पथ एक तरीका है वेदों को पढ़ने का।
आयुर्वेद का ज्ञान
रावण ने आयुर्वेद में भी काफी योगदान दिया था। अर्क प्रकाश नाम की एक किताब भी रावण ने लिखी थी, जिसमें आयुर्वेद से जुड़ी कई जानकारियां हैं। रावण को ऐसे चावल भी बनाने आते थे जिसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन होता था। इन्हीं चावलों को वो सीता जी को दिया करता था।
कविताएं लिखने में भी पारंगत
रावण सिर्फ एक योद्धा नहीं था। उसने कई कविताओं और श्लोकों की भी रचनाएं की थीं। शिवतांडव इन्हीं रचनाओं में से एक है। रावण ने भगवान शिव को खुश करने के लिए ‘मैं कब खुश होउंगा’ लिखी। भगवान शिव इतने खुश हुए कि उन्होंने रावण को वरदान दिया दे दिया।