किसी भी शादी में सालियाँ अपने होने वाले जीजा के जूते ही क्यों चुराती हैं, अन्य कोई वस्तु क्यों नहीं?
जिस तरह से पत्नी पति की इज्जत होती है उसीतरह से साली के लिए भी कहा जाता है कि वह आधी घरवाली होती है।
अब पुरूष को देखिए पुरूष के लिए सम्मान और गौरव की कुछ वस्तुएं हैं।छत्र छाता साफा पाग और जूता।किसी की यदि वैभव और धन का आकलन करना पड़े तो उसके जूते को देखें।यदि जूता चमकदार और कीमती है तो समझें वह इज्जतदार है।
इस इज्जत को आप इसतरह से भी समझ सकते हैं कि यदि कोई आदमी सूट टाई डाल रखा हो और पैर नंगा हो तो सारा वैभव सारी सम्पन्नता मिट्टी में मिल जाती है और ससुराल में यदि बिना जूते का घूमना पड़े तब समझिये क्या स्थिति होगी।इसलिए सालियां चालाक होती हैं जूते चूराकर जहां जीजा जी से चूहल और मजाक भी कर लेती हैं वहीं जीजा को अपनी बहन के लिए कितना समर्पित हैं यह भी समझ लेती हैं।
दूसरा एक जीजा का भोलाभालापन और व्यावसायिकता का भी परीक्षण हो जाता है।