एक दिन के लिए दुल्हन बनते हैं किन्नर, इनकी शादी के रिवाज़ देख कर दांतो तले ऊँगली दबा लेंगे
किन्नर को तीसरे जेंडर का दर्जा प्राप्त है और ये ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग होते हैं। किन्नर आम लोगों की दुनिया से कटकर रहते हैं और ये अपने समुदाय के बीच में ही रहा करते हैं। किन्नर की जिंदगी बेहद ही परेशानियों भरी होती है।
क्योंकि इन्हें आसानी से कोई भी काम पर नहीं रखता है और काम ना मिलने की वजह से ही ये लोग शादियों में, बच्चा होने पर नाच-गाकर और सिंगल पर लोगों से पैसे मांगते हैं।
वहीं किन्नरों द्वारा जब भी शादियों या बच्चा होने पर पैसे मांगे जाते हैं, तो लोग बिना कुछ कहें इनको पैसे थमा देते हैं। दरअसल किन्नरों की दुआ और बद्दुआ को बेहद ही असरदार माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि इनके द्वारा दी गई दुआ और बद्दुआ जरूर लगती है।
इसी वजह से जब भी ये लोगों से पैसे मांगते हैं तो इनकी बद्दुआ ना लगने के डर से लोग इन्हें पैसे दे दिया करते हैं। हालांकि आपने कभी ये सोचा है कि आखिर क्यों किन्नरों की दुआ और बद्दुआ को इतना असरदार माना जाता है और क्यों लोग इनसे बद्दुआ नहीं लेना चाहते हैं ?
दरअसल किन्नरों की जिंदगी बेहद ही दुखों से भरी होती है और अपनी जिंदगी में ये केवल लोगों की नफरत का ही सामना करते हैं। किन्नरों के साथ होने वाले भेदभाव के कारण ही इनकी बद्दुआ और दुआ को असरदार माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि ये लोग दिल से बेहद ही दुखी होते हैं और दुखी दिल से निकली हर बात सच हो जाती है। शादी में आकर किन्नर लोगों को दुआ ही देते हैं। हालांकि अगर इनको पैसे ना दिए जाए तो इनके मुंह से केवल बद्दुआ ही निकलती है और इनकी बद्दुआ से बचने के लिए लोग बिना कुछ कहें इनको पैसे दे देते हैं।
किन्नरों को गुस्सा दिलाना भी सही नहीं माना जाता है। इसलिए जब भी ये कोई मांग लोगों से करते हैं तो लोग उस मांग को पूरा कर देते हैं। ताकि इनके मन से केवल उनके लिए दुआ ही निकले।