राजस्थान का भीष्मपिता किसको कहा जाता है? जानिए
राजस्थान का इतिहास अपने आप में खास है क्योंकि यहां आपको महाभारत के भीष्म पिता मिलेंगे और साथ ही कर्ण भी , हां है ना मजेदार
लेकिन ये इतिहास में इंसानों को दी गई उपाधियां है उनके कामों के लिए जो प्राचीन आदर्शों से मिलते हैं ।
मेवाड के महाराणा लाखा सिंह के बड़े बेटे युवराज ” चुंडा सिसोदिया ” को राजपुताने का ” भीष्म पिता ” कहा जाता है लेकिन इसका एक इतिहास है ।
मेवाड और मारवाड़ में सीमा को लेकर विवाद जारी था ऐसे में राठौर राजकुमार रणमल महाराणा लाखा के अपनी बहन हंसा बाई का रिश्ता लेकर मेवाड में आया । उसका अपना एक शातिर प्लान था । वो ये जानते हुए भी की महाराणा की दाढ़ी के बाल सफेद हो चुके है वो रिश्ता लेकर आया और युवराज मेवाड में उपस्थित नही थे ।
ऐसे में महाराणा ने वो रिश्ता पहली बार में अस्वीकार कर दिया और अपने बेटे के साथ इस रिश्ते की बात की लेकिन रणमाल गुस्सेबाज था और उसका प्लान भी था और महाराणा सीमा विवाद को हल करना चाहते थे उन्हें डर था कि रणमल इसे अपनी बेजजती के तौर पर लेगा और पहले से खराब दोनों राज्यों के रिश्ते और खराब हो जायेंगे
लेकिन जब युवराज चूड़ा वापस आए और उन्हें इस बात का पता लगा कि रिश्ता पहले उनके पिता के लिए आया था तो उन्होंने रिश्ते से इंकार कर दिया इससे महाराणा का डर सही साबित हुआ और महाराणा धर्म संकट में पड़ गए और उन्हें हंसा बाई से शादी करनी पड़ी
लेकिन शातिर रणमल ने एक शर्त रखी कि उसकी बहन का बेटा ही मेवाड का अगला महाराणा होगा लेकिन युवराज चूड़ा सबसे बड़े बेटे थे तो उनका सिंहासन पर जायज हक था ।
अब रिश्ता ठुकरा देने का मतलब था युद्ध और हजारों जानों का नुकसान ऐसे में चूड़ा ने अपने पिता और राज्य की शांति के लिए अपना युवराज पद छोड़ दिया और हंसा के बेटे को राजा बनाने और उसकी रक्षा का वचन दिया ।
और आगे चलकर हंसा बाई का बेटा मोकल राजा बना और चूड़ा उसके भीष्म पितामह की तरह रिजेंट बने लेकिन उसके बाद उसकी माता हंसा बाई चूड़ा पर शक करने लगी इससे चूड़ा को ठेस लगी और चूड़ा ने दरबार को छोड़ दिया।
आपको एक एडिसनल जानकारी देता हूं यहां , जैसा समझते हैं कि चूड़ा आजीवन ब्रह्मचारी रहे ? ऐसा नहीं था उन्होंने शादी की थी और उन्होंने ही मेवाड का सलूंबर ठिकाना बसाया था