अकबर ने तुलसीदास को कारागार में क्यों बंदी बना लिया था? जानिए वजह

क्योंकि रामभक्त तुलसीदास केवल राम की शरण में भक्ति मात्र के लिए अपनी कला को जनमानस के लिए प्रयोग में लाते थे, अत: उन्हें बादशाह अकबर का कोई खौफ नहीं था और उन्हें अकबर की यह बाद पसंद नहीं आई. यह बात तुलसीदास की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुकूल नहीं थी. इसलिए तुलसीदास ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

तुलसीदास जी के पास बहुत सी चमत्कारी शक्तियां थीं । एक बार एक मरे हुए ब्राह्मण को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था और उसी रास्ते से तुलसीदास जी भी जा रहे थे तभी विधवा औरत ने तुलसीदास जी के पैरों पे गिर पड़ी और प्रणाम किया, तुलसीदास जी ने उस औरत को “सदासौभाग्यावती ” होने का आशीर्वाद दिया, औरत ने कहा मैं सदासौभाग्यावती कैसे हो सकती है मेरे पति अभी मर गए हैं, तुलसीदास ने कहा ये शब्द तो निकल चुके हैं अब इसे जीवित करना पड़ेगा। तुलसीदास जी ने फिर सबसे अपनी आँखे बंद करने को कहा और राम नाम जपने लगे, जिससे वो ब्राह्मण फिर से जी गया।

तुलसीदास की ख्याति से अभिभूत होकर अकबर ने तुलसीदास को अपने दरबार में बुलाया और अपने किसी मरे आदमी को ज़िंदा करने को कहा, परन्तु यह प्रदर्शन-प्रियता तुलसीदास की प्रकृति और प्रवृत्ति के प्रतिकूल थी, अकबर ने उनसे जबरदस्ती चमत्कार दिखाने पर विवश किया, लेकिन ऐसा करने से उन्होंने इनकार कर दिया, फलस्वरूप अकबर ने तुलसीदास को फतेहपुर सिकरी जेल में कैद करवा दिया।

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