क्या सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन दोनों अलग-अलग चीज़ है? जानिए वजह
वैसे तो सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन या एप्प को आमतौर पर लोग एक ही समझते हैं और इनको परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची पदों के रूप में ही जानते हैं. लेकिन तकनीकी और व्यावहारिक रूप से इनमें कुछ मूल-भूत अंतर होते हैं.
इसको साधारण सी भाषा में आप यह समझें कि जो कुछ भी आपके कंप्यूटर, मोबाइल या कंप्यूटर आधारित जितने भी डिवाइस हैं उनमें हार्डवेयर वाले हिस्से जिनको कि हम देख और महसूस कर सकें जैसे कि कैबिनेट या केस, कैमरा, सेंसर्स, रैम, रोम, हार्ड डिस्क अथवा मेमोरी कार्ड आदि को छोड़कर जो कुछ भी डिजिटल या अदृश्य रूप में आपके सिस्टम में मौजूद हैं वो सभी सॉफ्टवेयर कहलाते हैं.
सॉफ्टवेयर भी मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला होता है सिस्टम सॉफ्टवेयर और दूसरा होता है एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर. सिस्टम सॉफ्टवेयर सीधे रूप से हमारे सिस्टम के हार्डवेयर और सेंसर्स को संचालित करते हैं. कंप्यूटर अथवा मोबाइल में मौजूद ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रकार का सिस्टम सॉफ्टवेयर ही है जो कि हमें किसी भी डिवाइस को उपयोग करने के लिए अनिवार्य रूप से इनस्टॉल करने पड़ते हैं, उदाहरण के लिए विंडोज, लिनक्स, एंड्राइड और मैक ओएस. सिस्टम सॉफ्टवेयर ही एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के संचालन के लिए प्लेटफार्म या मंच तैयार करते हैं. बिना किसी बेस सिस्टम सॉफ्टवेयर के कोई भी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर रन या संचालित नहीं हो सकता है.
सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के अतिरिक्त भी काफी सारी फाइलें, डेटाबेस, मल्टीमीडिया फाइल, डायरेक्टरी और अन्य डाक्यूमेंट्स हमारे सिस्टम में मौजूद होते हैं और ये एप्लीकेशन न होते हुए भी सॉफ्टवेयर की ही श्रेणी में आते हैं.