वानप्रस्थ क्या है? वानप्रस्थ की परम्परा कब खत्म हो गई और क्यों? जानिए
वानप्रस्थ का सीधा अर्थ है वन प्रस्थान। वन से अर्थ है समाज से दूर, सुविधाओं से दूर जिससे मन माया से दूर होकर विरक्त हो सके। इसमें न सुविधा चाहिए और न सुरक्षा। प्रकृति के साथ एकरूप होकर जीना होता है। यह प्रायश्चित भी है अपने सामाजिक जीवन के बुरे कर्मों के लिए, इसमें प्रकृति की विभिन्न प्रकार से सेवा कर, जीव जंतुओं की सेवा कर प्रायश्चित किया जाता है। साथ ही साथ वन में विचरण करने वाले साधु संतो से ज्ञान की प्राप्ति, मोक्ष मा मार्ग, और उसकी साधना और साधन का विचार भी इसी में आता है।
वानप्रस्थ की परंपरा वैदिक रीति के समाप्त होते ही समाप्त हो गई । अब आप कहेंगे हम तो अभी भी वैदिक ही है। जी नहीं।
आज का सनातन धर्म केवल नाम से सनातन बचा है, इसमें वैदिक जीवन और ज्ञान से हम।कुछ नहीं करते। हम वेदों और आगम निगम के ज्ञान से बहुत दूर हो गए है। अब जीवन पूर्ण माया के कब्जे में है। पहले वानप्रस्थ था, आज तो हम मेडिकल इंसुरंस, रिटायरमेंट प्लानिंग, वर्ल्ड टूर आदि के नाम से भी माया में फंसे रहते है। तो वानप्रस्थ कौन जाएगा। आजकल तो मन की इच्छाएं ही बुढ़ापे में जवान हो रही है।