विवाह के बाद पुरुष भी गुजारते हैं परीक्षाओं से जाने कैसे
चाहे प्रेम विवाह हो, चाहे पारिवारिक सम्मति से किया विवाह हो, हमारे जीवन में विवाह एक बड़ा बदलाव लेकर आता है | इसके बाद अपनी जीवन शैली में अमूल चूल परिवर्तन होता है | कई बार आप अपने आस पास के अनुभवों के अनुसार बिना किसी खाटके और झटके के सब स्वीकारते जाते हैं,
स्त्रीयो के लिए यह स्थिति अधिक धीरज की माँग करने वाली इस लिए होती है क्यों की वे अपना घर छोड़ कर किसी दूसरे के घर रहने जाती है अगर वैवाहिक जोड़ा विवाह के बाद इक्कठे किसी अन्य घर में रहने लगे, तो शायद उनके हिस्से में इतनी कठिनाइयां न आए | जैसाकि हम जानते है, इस देश में अधिकतर स्त्रिया विवाह के बाद पति के पैतृक घर में जाती है और उनका आरम्भिक वैवाहिक जीवन वहीं से शुरू होता है | अगर किसी स्त्री ने इससे अलग इच्छा व्यक्त की , तो उसकी समस्या या उसकी उलझानो को सुनने समझने से पहले ही उसे घर तोर देने वाली कह दिया जाएगा |
ऐसा नहीं है की पुरुष किसी परीक्षा से नहीं गुजरते | वे अपनो के बीच में होते है और उनके स्वभाव के बदलने पर तेज नज़र रहती है | विवाह के बाद लड़कों के बदल जाने को नकारात्मक रूप से ताने और बोल में जताया जाता है, पुरुष भी उस ओल बोल से डरते हुए कुछ ज्यादा ही शख्त रवैया अपनाने का स्वांग करते है | ऐसा नहीं करने वाले जोरू के गुलाम ठहराए जाते हैं|
इतना ही नहीं इसके बाद आता है पुरुष के परीक्षाएँ का परिमाण जो पुरुषो के सगे- सम्बन्धीयों और दोस्तों से मिलते है
सेग-सम्बन्धी,
फिर क्या अपने लोग ही पराये जैसी नजरों से देखने लगते है ऐसा लगता जैसे मनो पुरुष की ही पूरा किया कराया हो और वहीं स्त्री को गाइड करता हो फिर ओल बोल शुरू हो जाती है | जैसे ”इसी ने सर पे चढ़ा रखा है, जोरू का गुलाम,
दोस्त-यार
और जब ये सब बातें दोस्तों तक जाती है फिर क्या शुरू हो जाते है!
”क्यूँ बे आज कल दिख नहीं रहा है वो भाभी से टाइम ही नहीं मिलता है ना,, फिर पारिवारिक मामले मे घुस जाते है
इन्ही सब बातों से पुरुष जब अपने आप को अकेला फील करने लगता है और अकेला-अकेला रहने लगता है। फिर क्या लोगों से ये तक सुनने को मिल जाता है। कि पुरुष शादी के बाद पूरी तरह से बादल गया है।
पुरुष को ऐसे ही नई नई चेतावनियाँ का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार पुरुष अपने घर वालोंं, दोस्तो और ससुराल वालोंं से भी तने खा कर एक बेचारा पति बन कर रह जाता है!