कलयुग ने राजा परीक्षित से किन तीन वस्तुओं में अपना वास मांगा था ?
राजा परीक्षित ने जब कलयुग से अपने राज्य से निकल जाने को कहा तो कलयुग ने राजा से कहा कि अब तो द्वापर युग खत्म हो चुका है अतः अब मुझे इस धरती पर रहने का अधिकार है। कृपया करके मुझे अपने राज्य में रहने के लिए स्थान दें क्योंकि यही नियति है।
राजा परीक्षित ने बहुत सोच समझकर कलयुग से कहा कि- “हे कलियुग! द्यूत (जुआ), मद्यपान (शराब), परस्त्रीगमन (अवैध संबंध) और हिंसा इन चार स्थानों में असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास होता है। इन चार स्थानों में निवास करने की मैं तुझे छूट देता हूँ।”
इस पर कलयुग ने कूटनीति दिखाते हुए कहा कि “महाराज आप जैसे धर्म प्रतिज्ञ और धर्मात्मा राजा के राज्य में यह चार स्थान तो हो ही नहीं सकते हैं, तो भला मैं कहां रहूंगा ? कृपया करके मुझे इनके अतिरिक्त कोई और स्थान दें।”
परीक्षित ने बहुत सोच विचार करने के बाद कलयुग से पुनः कहा कि- “ठीक है तुम चार स्थानों के अतिरिक्त स्वर्ण में निवास करो।”
बस यही पर राजा परीक्षित गलती कर गए उनकी गलती का फायदा उठाकर कलयुग उन्हीं राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में बैठ गया और इस प्रकार द्वापर युग का अंत हुआ ।